बच्चों की सुरक्षा को लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग गंभीरः योगेंद्र खंडूड़ी
देहरादून। बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी ने कहा कि आयोग बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और लगातार इस दिशा में काम कर रहा है। बच्चों से संबंधित विभाग स्वयंसेवी संगठनों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस बात की खुशी है कि ‘‘कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन’’ और ‘‘बचपन बचाओ आंदोलन’’ उत्तराखंड में बच्चो की सुरक्षा के संदर्भ में हम जो प्रयास कर रहे हैं उसमें हमारा काफी सहयोग कर रहे हैं। इसके लिए हम नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्या्र्थी को बहुमूल्य मार्गदर्शन के लिए बहुत-बहुत धन्यावाद देते हैं।’’ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग’’,‘’बचपन बचाओ आंदोलन’’ और ‘’उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण’’ने राज्य में बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। नेशनल क्राइम रिकार्डस ब्यूरो ने साल 2016 की अपनी रिपोर्ट में राज्य को बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक माना था। पिछले छह सालों में उत्तराखंड में बच्चों के खिलाफ अपराधों में सात गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो अन्य हिमालयी राज्यों के मुकाबले ज्यादा गंभीर है। वहीं, बच्चों से जुड़े अपराधों की सुनवाई के मामलों में राज्य की अदालतों की धीमी गति भी चिंताजनक है। ऐसी स्थिति में दोषियों को सजा दिलाना मुश्किल होता है। बच्चे न तो घर में सुरक्षित हैं और न ही बाहर। ऐसे में बच्चों से जुड़े सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही बाल सुरक्षा नीति को साकार कर इसके क्रियान्वयन के लिए ठोस पहल की भी जरूरत है। ‘’द नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो’’ के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में बच्चों के खिलाफ अपराधों का पंजीकरण तेजी से बढ़ रहा है। यह पंजीकरण 2015 की तुलना में 2016 में 6 प्रतिशत बढ़ा। यह राज्य के लोगों की बच्चों के खिलाफ अपराध या हिंसा को कम करने के बाबत उसकी जागरुकता को भी दिखाता है। इसमें राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग उनकी काफी मदद कर रहा है और आगे भी इस दिशा में वह आगे काम करता रहेगा और यह उसकी गतिविधियों से पता चलता है। यहां यह भी उल्लेेखनीय है कि 2016 में बच्चों के खिलाफ अपराधों की सजा दर 77 प्रतिशत है जो कि पिछले साल की तुलना में काफी सराहनीय है।