बेटियों को बॉक्सर बनाने के लिए मां ने गिरवी रखे जेवर, पिता ने छोड़ी सरकारी नौकरी
नोएडा | हरियाणा की पहलवान सिस्टर्स गीता और बबीता फोगाट की तर्ज पर अब नोएडा में भी बेटियों को खिलाड़ी बनाने के लिए एक पापा मैदान में उतर गए हैं। बेटियों को खिलाड़ी बनाने का जुनून इस कदर सवार है की पिता ने सरकारी नौकरी छोड़ दी | हालांकि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए गुजारे के लिए छोटा-मोटा काम शुरू किया है और पूरा टाइम बेटियों की फिटनेस पर लगा दिया है। कोचिंग की फीस देने के लिए मां ने जेवर तक गिरवी रख दिए हैं। सेक्टर-123 स्थित राधा कुंज कॉलोनी में रहने वाले रमेश रावत कस्टम विभाग में नौकरी करते थे। अपने जमाने में उन्हें पहलवानी और बॉक्सिंग का बेहद शौक था लेकिन घर से सपॉर्ट न मिल पाने के कारण सपना पूरा नहीं हो पाया। दोनों बेटियां भी बचपन से ही पहलवानी और बॉक्सिंग की शौकीन हैं। दंगल फिल्म देखने के बाद पापा को बेटियों को ‘गीता’,’बबीता’ बनाने का ऐसा जुनून चढ़ा है कि नौकरी त्यागकर पूरा फोकस बेटियों पर लगा दिया है। रमेश रावत सुबह 4 बजे से बेटियों को कसरत कराना शुरू करा देते हैं। इसमें दौड़, दंड बैठक और बाकी एक्सरसाइज शामिल हैं। वह खुद भी एक्सरसाइज करते हैं ताकि बेटियों का हौसला बना रहे। पापा की दिन-रात की मेहनत और बेटियों की लगन अब रंग ला रही है। बड़ी बेटी मानसी स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत और कांस्य पदक जीतने के बाद पिछले दिनों यूथ नैशनल में खेल चुकी है। हालांकि नैशनल में अभी कोई मेडल नहीं मिला है, लेकिन दिन-रात की कड़ी मेहनत जारी है। वहीं छोटे बेटी 12वीं में है और अब प्रदेश स्तर की मुक्केबाजी प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रही है। बड़ी बेटी मानसी ने बताया कि पापा ने हमारे लिए नौकरी छोड़ दी, गुजारे के लिए छोटा मोटा काम करते हैं ताकि पूरा टाइम हमें दे सकें। सुबह 4 बजे उठाते हैं। 6 बजे तक हमें कसरत कराते हैं। मैं दिल्ली कोचिंग के लिए जाती हूं। फिर दिन में छोटी बहन को अखाड़े में पहलवानी की प्रैक्टिस कराते हैं। शाम को हम दोनों बहन पापा के साथ फिर कसरत करते हैं। हमसे ज्यादा मेहनत हमारे पापा हमारे लिए कर रहे हैं।