ब्रेस्ट कैंसर से डरें नही लड़ेः डा. सुजाता संजय
देहरादून। उपवा अध्यक्ष डॉक्टर अलकनंदा अशोक के दिशा निर्देशानुसार उपवा संयुक्त सचिव गीतिका खंडूरी की अध्यक्षता में पुलिस लाइन देहरादून में महिला पुलिस कर्मियों एवं पुलिस परिवार की महिलाओं हेतु निशुल्क ब्रेस्ट कैंसर शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें डॉक्टर सुजाता संजय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ द्वारा ब्रेस्ट कैंसर के संबंध में आवश्यक जानकारी दी गई। जिसमे महिलाओं द्वारा भी अपने स्वास्थ्य संबंधी प्रश्न डॉक्टर से पूछे गए, तथा डॉक्टर द्वारा उनकी समस्याओं हेतु उचित परामर्श दिया गया। तथा यह भी बताया गया कि कैसे हम अपने शरीर की उचित देखभाल कर सकते हैं ,जिससे हम समय रहते अपने शरीर को कैंसर जैसी बड़ी बीमारी से बचा सकते है। इस स्वास्थ्य शिविर में महिलाओं द्वारा बढ़-चढ़कर भागीदारी ली गई जिसमें आशा सुयाल, भावना पंत आदि भी उपस्थित रहे।
ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है जागरूकता की कमी और बदलती लाइफस्टाइल इसका मुख्य कारण है महिलाओ में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए अक्टूबर माह को पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है स्तन कैंसर का नाम सुनते ही कैंसर पीड़ित और उनके परिवार वाले मरीज के जीने की उम्मीद छोड़ देते है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो ये धारणा सही नहीं है भारत में हर साल स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या में प्रति एक लाख में से तीस की औसत से इजाफा हो रहा है। स्ंजय मैटरनिटी सेंटर की डायरेक्टर और स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉ सुजाता संजय के मुताबिक, स्तन में गांठ, सुजन या फिर किसी भी तरह का बदलाव महसूस हो तो डॉक्टर से संपर्क करें डॉ सुजाता कहते है, ब्रेस्ट कैंसर की 4 स्टेज होती है। अगर कैंसर पहली स्टेज यानी शुरुआती अवस्था में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80 फीसदी तक होती है। दूसरी स्टेज में 60 से 70 फीसदी तक ठीक होने की सम्भावना रहती है। कैंसर की तीसरी या चौथी स्टेज में इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है। इसके कुछ लक्षणों को अगर समय पर पहचान लिया जाए तो इलाज आसान हो जाता है।
मशहूर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के आंकड़ो के मुताबिक हर साल 4 हजार कैंसर के नए रोगी अस्पताल आते है। यहां यह समझना बेहद जरूरी है कि अलग अलग महिलाओं में स्तन कैंसर के अलग अलग लक्षण पाए जाते है। डॉ सुजाता संजय के मुताबिक, शराब, ध्रुमपान, तंबाकू के साथ साथ बढ़ता वजन खासतौर पर मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बॉडी में ज्यादा हार्माेन्स फैट टिशु से निकलते हैं, ज्यादा उम्र में गर्भवती होना और बच्चों को स्तनपान ना करवाना स्तन कैंसर के प्रमुख कारण है। इसलिए जरूरी है कि महिलांए अपने वजन को नियंत्रित रखें, गर्भधारण का समय निििश्चत करें और कम से कम 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं ऐसा करने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। स्तन कैंसर का कारण आनुवंशिक भी हो सककता है, लेकिन ऐसा सिर्फ 5-10 प्रतिशत महिलाओं में ही पाया जाता हैं। डॉ सुजाता संजय कहती है बदलते दौर में अपने लाइफस्टाइल को जरूरत से ज्यादा बदलना भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है। इनकी सलाह है कि ज्यादा कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन फास्ट फूड जैसे बर्गरए फ्रेंच फ्राइजए चाटए रेड मीट ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं और गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन ना करें इसके अलावा 40 की उम्र के बाद साल में एक बार मेमोग्राफी जरूर करवाएं।