भाजपा नेताओं के सवाल पर सवाल दागे कांग्रेसी नेता
मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने भाजपा नेताओं द्वारा किये गये सवालों पर उलटे उनसे ही सवाल किये है। उन्होंने भाजपा नेताओं से पूछा है कि क्या यह सच नही है कि वर्ष 2007-08 में सरकार भाजपा की आते ही सबसे पहला पुण्य यह कमाया कि सरकारी एजेंसी से काम छीनकर पौंटी चड्डा के शराब सिडिकेट को तमाम शराब संबंधी कार्य दिया गया था। दूसरा सवाल यह है कि भाजपा अपने चुनावों में शराब सिंडिकेट और रेत बजरी माफिया से धन लेती है कि नही। भाजपा मित्र इस सवाल का भी जवाब दे कि भाजपा मुख्यालय में जो चोरी हुई थी, उसमें शराब माफिया का पैसा था कि नही। भाजपा मित्र इस सवाल का भी जवाब दे कि भाजपा सरकार ने एक ऐसे शराब व्ययवसायी को एफएल-5 का लाइसेंस दिया था, जिसकी उत्तराखण्ड में फैक्ट्री भी नही थी। भाजपा नेता यह भी बताये कि पोंटी चड्डा शराब सिंडिकेट और नामधारी से उनका क्या रिश्ता है। यह भी बताये कि राज्य सरकार द्वारा जो आबकारी नीति वर्तमान में लागू की गई है, जिसमें शराब का पूरा काम निजी हाथो से छीनकर सरकारी एजेसी को दिया गया है, वह सही है या गलत है। स्थानीय उत्पाद जैसे सेब, माल्टा, नीबू, मंडुवा आदि की 5-10 प्रतिश ब्लेडिंग करना क्या गलत है। भाजपा सरकार द्वारा खनन नीति 2011 जो लागूु की गई थी, उसमें जमींदार उन्मूलन कानून का समावेश किया था कि नही। यह भी बताये कि जो भूमि दरियाबुर्द हो जाती है, उसमें किसान का अधिकार होना चाहिए कि नही। बाढ़ के बाद निजी नाप भूमि पर जो माइनर मिनरल रेत, बजरी, बोल्डर आदि आता है, उस पर किसका अधिकार होना चाहिए। भाजपा पार्टी एक जिम्मेदार राजनीतिक दल है, इसलिए उनके नेताओं को तथ्यों पर आधारित बयान ही देने चाहिए। मैं उनसे यह भी पूछना चाहूंगा कि क्या यह सच नही है कि भाजपा नेताओं ने ही अपनी पार्टी के सीएम को देश का भ्रष्टतम सीएम कहा था। क्या भाजपा नेताओं ने प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास नही किया था कि जब तक हरीश रावत सीएम है, तब तक प्रदेश में भाजपा की वापसी नही हो सकती है। क्या यह सच नही है कि हरीश रावत सरकार को बने मात्र 9 दिन हुए थे और भाजपा के नेताओं द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।