भीड़ हिंसा में शामिल व्यक्ति को कानून के तहत कड़ी सजा जरूरी , जानिए खबर
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भीड़ हिंसा को रोकने के लिए जारी किये गए दिशा निर्देशों के अनुपालन में उत्तराखण्ड शासन द्वारा पुख्ता व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन ने बताया कि इसके लिए पुलिस, जिला प्रशासन व अन्य संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रत्येक जिले में इसके लिए उच्च स्तरीय नोडल अधिकारी तैनात किए जा रहे हैं और अधिकारियों की जिम्मेवारी सुनिश्चित की जा रही है। खुफिया तंत्र को मजबूत किया जा रहा है। प्रमुख सचिव ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत सम्मानपूर्वक जीवन का सभी को अधिकार है। संविधान में जीवन के अधिकार को ‘मूल अधिकारों’ की श्रेणी में रखा गया है। भीड़ द्वारा हमला और हत्या को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन के मौलिक अधिकार पर ‘वीभत्स’ हमले के रूप में देखा जा सकता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में ‘विधि का शासन’ निहित है। यहाँ प्रत्येक नागरिक से अपेक्षा की जाती है कि वह कानून का उल्लंघन न करे और किसी प्रकार की गैर-कानूनी गतिविधि न करें। यदि किसी व्यक्ति से कोई अपराध हुआ है तो उसे सजा देने का हक कानून को है, न कि भीड़ को। भीड़ हिंसा में शामिल व्यक्ति को कानून के तहत कड़ी सजा दी जाएगी। प्रमुख सचिव गृह आनंद वर्द्धन ने लोगों से अपील की है कि कानून को अपने हाथ में न लें और भीड़ हिंसा में शामिल न हों। पुलिस की सोशल मीडिया पर भी पूरी नजर है। सोशल मीडिया का दुरूपयोग न करें। न तो स्वयं अफवाह फैलाएं और न ही अफवाहों का शिकार हों। हिंसा भड़काने वाले अराजक तत्वों के बारे में नजदीकी पुलिस स्टेशन में जानकारी दें, जानकारी देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाएगी।