मध्य प्रदेश की तर्ज पर होगा उत्तराखंड का निकाय एक्ट, जानिये खबर
देहरादून। उत्तराखंड का जल्द ही अपना निकाय एक्ट अस्तित्व में आ जाएगा। देश में सबसे पहले अपना नगर निकाय एक्ट लागू करने वाले मध्य प्रदेश राज्य की तर्ज पर प्रदेश का निकाय एक्ट तैयार किया जा रहा है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो 15 अगस्त से प्रदेश का अपना निकाय होगा। उत्तराखंड के निकायों में चुनाव से लेकर अन्य गतिविधियों में अभी तक उत्तर प्रदेश राज्य के एक्ट से काम चलाया जा रहा है। पिछली सरकार के द्वारा निकाय एक्ट बनाए जाने को लेकर प्रयास किए गए थे। इसके तहत एक्ट का मसौदा भी तैयार किया था, लेकिन सारे प्रयासों के बाद भी बात आगे नहीं बढ़ पाई। अब भाजपा सरकार निकायों के सशक्तीकरण की दिशा में कार्य कर रही है। इसी के तहत राज्य का नया निकाय एक्ट तैयार करने को अपर सचिव चंद्रेश कुमार यादव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। यह समिति देश के विभिन्न राज्यों के निकाय एक्ट का अध्ययन कर रही है। इसमें मध्य प्रदेश के निकाय एक्ट को सबसे उपयुक्त पाया गया है। अब इसी को आदर्श मानते हुए इसके अनुरुप निकाय एक्ट तैयार किया जा रहा है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि निकाय एक्ट का मसौदा तैयार करने को गठित समिति को मप्र के एक्ट का गहनता से अध्ययन कर इसके आधार पर मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार की कोशिश है कि राज्य का त्रिस्तरीय नगर निकाय एक्ट 15 अगस्त से पहले अस्तित्व में आ जाए। बताया कि वह इसी सप्ताह निकाय एक्ट को लेकर मॉनीटरिंग करेंगे। मध्य प्रदेश के एक्ट को यदि यह एक्ट अपनाया गया तो राज्य के नगर निगमों में जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में बढ़ोत्तरी होगी। ‘मेयर इन कौंसिल’ बनने से नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों में ‘प्रेसीडेंट इन कौंसिल’ के अध्यक्षों के साथ-साथ नगर निगमों में महापौर को अधिकार भी प्रदान किए जाएंगे। मप्र के एक्ट में नगर निगमों में मेयर इन कौंसिल निगम की मुख्य समिति होती है, जिसमें महापौर पदेन अध्यक्ष और सदस्य संख्या 10 होती है। समिति की सहायता के लिए 10 विभागीय समितियां होती हैं। यही नहीं निगम में पार्षदों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से स्पीकर भी चुना जाता है। इसी प्रकार नगर पालिका परिषदों में पालिका की समिति को प्रेसीडेंट इन कौंसिल कहा जाता है, जिसका अध्यक्ष नगर पालिका प्रमुख होता है और अध्यक्ष समेत सदस्य संख्या होती है आठ। वहीं नगर पंचायतों की समिति भी प्रेसीडेंट इन कौंसिल कहलाती है, जिसमें अध्यक्ष समेत छह सदस्य होते हैं। निकायों में मेयर इन कौंसिल और प्रेसीडेंट इन कौंसिल सशक्त होंगी।