महिलाये भी कांवड भक्त, जानिये खबर
रुड़की। पुरुषो की तरह महिलाये भी कांवड़ यात्रा में निकल पड़ी है जी हां वक्त के हिसाब से महिलाओं और बच्चों की संख्या भी बीते वर्षों की अपेक्षा कईं गुना अधिक देखने को मिल रही है। कोई अपनी गोद में नन्हें शिशु को लिए, कोई उन्हें अपनी पीठ पर बांधकर तो कोई बच्चों को पालने में लिटाकर निज शिवालयों की और प्रस्थान कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर शिवभक्ति के साथ-साथ देशभक्ति की भावना भी कांवड़ियों में देखने को मिल रही है। कांवड़िये गंगाजल के साथ देश के तिरंगों को भी हाथों में लिए हुए देशभक्ति की मिसाल दे रहे हैं। कांवड़ यात्रा पूरे वैभव पर है चारों ओर जय भोले जय भोले का उद्घोष हो रहा है। सड़क से लेकर घर के आंगन तक। सरकारी कार्यालयों से लेकर स्कूलों तक में शिव भक्त वास कर रहे हैं। हरिद्वार की ओर से गंगाजल लेकर आ रहे शिव भक्तों किसी के हाथों में भारत के गौरव का प्रतीक तिरंगा तो कोई भारत माता की झांकी के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रत्येक राष्ट्रभक्त का सीना तन रहा है। वह जय भोले के उद्घोष के साथ एक नारा जय हिंद का भी लग रहा है। कांवड़ यात्रा किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होगी और कांवड़ियों की संख्या में कोई खास इजाफा नहीं होगा, ऐसा प्रशासन का मानना था। कांवड़ियों की संख्या में हो रही वृद्धि इस बात का जीता जागता सबूत है, कि बम भोले के भक्तों की आस्था भारी पड़ रही है हर किसी पर। उनके बढ़ते कदमों को रोक पाना प्रशासन ही नहीं बल्कि किसी ऐसी मान्यता के भी बस की बात नहीं जो शिव की भक्ति में रूकावट पैदा कर सके। उत्तरी भारत के अनेक प्रांतों से आ रहे कांवड़ियों ने शहर के वातावरण को बिल्कुल परिवर्तित करके रख दिया है। जिस तरफ देखों बस शिव के भक्तों की टोलियां ही दिखाई देती हैं। भोले के रंग में रंगी टोली कहीं भोले की भक्ति की धुनों में डीजे पर नाचती-गाती और थिरकती हुई दिखाई दे रही हैं, तो कहीं भक्ति के नशे में चूर हंसते-गाते धूम मचाते कांवड़ियों के अजब-गजब नजारे शहर को शिवमय बना रहे हैं। कोई बड़े-बड़े चैपहिया वाहनों को पालकी की भांति सजाकर लाखों की लागत से कांवड़ ला रहा है, तो कोई नरमुंड़ों की भांति कैनियों में गंगाजल भरकर अपने गले में माला सी लटकाकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा है।