मोक्षदा एकादशी पर जानें पूजा-विधि
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के रुप में जाना जाता है. वर्ष 2017 में मोक्षदा एकादशी 30 नवम्बर को मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी अनेकों पापों को नष्ट करने वाली है. मोक्षदा एकादशी को दक्षिण भारत में वैकुण्ठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के प्रारम्भ होने से पूर्व अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था.पद्मपुराणमें भगवान श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं-इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए. मोक्षदाएकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है. पूर्वकाल में वैखानस नामक राजा ने पर्वत मुनि के द्वारा बताए जाने पर अपने पितरों की मुक्ति के उद्देश्य से इस एकादशी का सविधि व्रत किया था. इस व्रत के पुण्य-प्रताप से राजा वैखानस के पितरोंका नरक से उद्धार हो गया. जो इस कल्याणमयीमोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. प्राणियों को भवबंधन से मुक्ति देने वाली यह एकादशी चिन्तामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है. मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा पढने-सुनने से वाजपेय यज्ञ का पुण्य फल मिलता है. मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीताका उपदेश दिया था. अत:यह तिथि गीता जयंती के नाम से विख्यात हो गई. इस दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करें तथा प्रतिदिन थोड़ी देर गीता अवश्य पढें. गीतारूपीसूर्य के प्रकाश से अज्ञानरूपीअंधकार नष्ट हो जाएगा.इस दिन श्री कृष्ण व गीता का पूजन शुभ फलदायक होता है. ब्राह्राण भोजन कराकर दान आदि कार्य करने से विशेष फल प्राप्त होते है. यह एकादशी मोक्षदा के नाम से प्रसिद्ध है. इस दिन भगवान श्री दामोदर की पूजा, धूप, दीप नैवेद्ध आदि से भक्ति पूर्वक करनी चाहिए.