रेल मंत्री ने जनता को परोसा शुगर कोटेड पोटेशियम साईनाइड : किशोर उपाध्याय
देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने रेल बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि केन्द्रीय रेल मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पद चिन्हों पर चलते हुए देवभूमि उत्तराखखण्ड की इस बजट में घोर उपेक्षा की है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रेल मंत्री ने रेल बजट के नाम पर ‘शुगर कोटेड पोटेशियम साईनाइड’ जनता के सामने परोसा है। उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोगों को बड़ी आशा थी कि यह रेल बजट उत्तराखण्ड के लिए कुछ आशाओं का सृजन करेगा, लेकिन पिछले रेल बजट की तरह ही इस बार भी केन्द्र की मोदी सरकार ने देवभूमि उत्तराखण्ड की जनता की आशाओं पर तुषारापात किया है। पहले से ही केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड की उपेक्षा का दंश राज्य की जनता झेल रही है और अब रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने उपेक्षा के इस दर्द को और अधिक बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एवं देश की जनता को ठगने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पवित्र चार धामों को रेल सेवा से जोड़ने के लिए जिन जुमलों का उपयोग किया था इस रेल बजट ने उस पर अपनी मोहर लगा दी है। केन्द्र की मोदी सरकार ने रेल बजट में राज्य की उपेक्षा कर एकबार फिर जता दिया है कि उसे उत्तराखण्ड के विकास से कोई लेना-देना नही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने कुछ जुमलों का प्रयोग किया था, जैसे अच्छे दिन आयेंगे, 15 लाख नकद व 25 हजार पेंशन देंगे, मंहगाई कम करेंगे, रोजगार बढ़ायेंगे, इसी प्रकार प्रभु ने भी नव अर्जन, नव मानव, नव संरचना जैसे जुमलों का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि आज ही अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने बड़े-बड़े दावे किये थे और कहा था कि भाजपा के पांचों सांसद और स्वयं वे रेल बजट में उत्तराखण्ड को न्याय दिलाने का काम करेंगे। अब भारतीय जनता पार्टी के पांचों सांसदों तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट को उत्तराखण्ड की जनता को जवाब देना पड़ेगा कि वे इस रेल बजट में उत्तराखण्ड को न्याय क्यों नहीं दिला पाये और क्या अब उन्हें अपने पदों पर रहने का नैतिक अधिकार है? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने इस रेल बजट को प्रतिगामी, विकास विरोधी, मंहगाई को बढ़ाने वाला, गरीब व आम आदमी की कमर तोड़ने वाला तथा भारतीय रेल को 18वीं सदी में पहुंचाने वाला बताया है। बजट पूरी तरह दिशाहीन है, और इसको रेलवे बजट कहा भी जाय या न कहा जाय कि आज के दिन यह सबसे बड़ा सवाल है।