रोजगार या परेशानी
आदमी का स्रोत बढाने के लिए शुुरू की गई यह पीठ हर सप्ताह भरती है, इसमें सबका जरूरत का सारा सामान कम रेट पर उपलब्ध होता है। देहरादून में प्रति सप्ताह दूर -दराज के व्यापारी सामान बेचने आते हैं, सहारनपुर, दिल्ली, उ0प्र0, के व्यापारी सामान लाकर यहां बेचते हैं। हर रविवार को परेड ग्राउंड के पास मेला सा लग जाता है। इतनी भीड कि निकलने की की जगह नहीं मिल पाती है। आते-जाते वाहन चालकों को परेशानी होती है, तभी मैंने यह शीर्षक दिया है क्योंकि इससे साप्ताहिक पीठ से किसी को रोजगार और किसी को जरूरत के सामान उपलब्ध हो रहें हैं तो किसी को भारी भीड, ट्रैफिक जाम का सामना करना पडता है। पुलिस प्रशासन की इसमें कडी निगरानी रहती है। कई बार जो छोटे व्यापारी कर नहीं देते तो उनका सामान उठाकर ले जाया जाता है। छोटे व्यापारी इस प्रकार परेशान हो जाते हैं। यातायात जाम और कई दिक्कतों से निजात पाने के लिए पूर्व एस0एस0पी0 सदानंद ने मार्केट का वक्त 6से10 कर दिया था परन्तु अब वक्त निश्चित नहीं है। कोई व्यापारी तो पांच बजे ही आकर बैठ जाता है।पुलिस प्रशासन और नगरनिगम के बीच इस साप्ताहिक पीठ को लेकर कई बार विवाद हुए। कुछ वक्त पहले तो साप्ताहिक पीठ का स्थान बदलने की घोषणा की गई तो व्यापारियों ने इसका जमकर विरोध किया। कर से परेशान व्यापारियों ने जब विरोध किया तब मेयर विनोद चमोली बोले -व्यापारिक कर सरकार लगाती है। अब ऐसा होने लगा है, कभी मार्केट लगता है तो कभी नहीं लगता। इसे क्या समझा जाना चाहिए रोजगार या परेशानी।
– हिना आजमी ( मॉस कम्मुनिकेशन साई इंस्टिट्यूट देहरादून )