Breaking News:

पहचान : डॉ विरेन्द्र सिंह रावत को मिला युवा आह्वान इंस्पिरेशन अवार्ड -

Wednesday, November 27, 2024

मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन द्वारा पुण्य स्मृति में ट्रैकसूट वितरण कार्यक्रम -

Wednesday, November 27, 2024

भारत में “कीट” का टाइम्स हायर एजुकेशन इनॉगरल इंटरडिसिप्लिनरी साइंस रैंकिंग में चौथा सर्वश्रेष्ठ स्थान -

Monday, November 25, 2024

आखिर क्यों डॉक्टर मुकुल शर्मा ने ऋषिकेश में रखा मौन व्रत, जानिए खबर -

Monday, November 25, 2024

उत्तराखंड को आईपीएस दीपम सेठ के रूप में मिले नए डीजीपी, जानिए खबर -

Monday, November 25, 2024

खिलाडी एवं कोच डॉ विरेन्द्र सिंह रावत नेशनल गेम्स 2024 को लेकर कही बड़ी बात, जानिए खबर -

Monday, November 25, 2024

सांख्य योग फाउंडेशन के अभियान को दून के प्रबुद्ध नागरिकों ने दिया समर्थन, जानिए क्या है अभियान -

Saturday, November 23, 2024

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा 2025 : 16 जनवरी से 15 फरवरी चलेगा प्रैक्टिकल परीक्षा -

Saturday, November 23, 2024

संयुक्त नागरिक संगठन ने नशे एवं तेज गति से वाहन चलाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर जताई चिंता, किया गोष्ठी -

Friday, November 22, 2024

जेईई परीक्षा : अब 3 नहीं 2 बार ही दे सकेंगे एग्जाम, जानिए खबर -

Tuesday, November 19, 2024

देहरादून : रंगोली और बैनर प्रतियोगिता का आयोजन उज्जवल शिखर जनकल्याण ट्रस्ट द्वारा किया गया -

Monday, November 18, 2024

उत्तराखंड के सभी स्कूलों में पढ़ाई और छुट्टियों का समय होगा एक समान, जानिए खबर -

Monday, November 18, 2024

देहरादून : राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर जिला सूचना कार्यालय में गोष्ठी का हुआ आयोजन -

Monday, November 18, 2024

बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर शिक्षा से जोड़ा जाएगा: डीएम देहरादून -

Sunday, November 17, 2024

देहरादून में साउथ अफ्रीका की छात्रा के साथ सूडान के छात्र के किया बलात्कार, मुकदमा दर्ज -

Sunday, November 17, 2024

केदारनाथ सीट पर उपचुनाव में मुकाबला हुआ रोचक, जानिए खबर -

Sunday, November 17, 2024

महाभियान का शुभारम्भ, जानिए खबर -

Sunday, November 17, 2024

हम सब ने यह ठाना है इस अभियान को बढ़ाना है “ना ड्रग्स लेंगे और ना लेने देंगे” -

Sunday, November 17, 2024

डा चतुर्वेदी द्वारा स्वामी राम तीर्थ परिसर स्थित लाइब्रेरी में पुस्तक भेट किया -

Friday, November 15, 2024

ऋषिकेश में बाइक हादसे में यूट्यूबर की मौत, दूसरा युवक गंभीर रूप से घायल -

Wednesday, November 13, 2024



विरासत : रूचि एवं सुजाता के कथक ने दर्शको का मोहा मन

 

देहरादून। विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2022 के दसवें दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के अंतर्गत विजय दत्त श्रीधर द्वारा राष्ट्र, संस्कृति और धरोहर के ऊपर वार्ता रखा गया। इस वार्ता में विजय दत्त श्रीधर बेंजामिन फ्रैंकलीन के एक कोट के साथ शुरुआत करते हैं वह कहते हैं कि ’इंसान को या तो कुछ ऐसा सार्थक लिखना चाहिए जिसे खूब पढ़ा जाए या फिर कुछ ऐसा सार्थक किया जाना चाहिए जिसके बारे में खूब लिखा जाए’। बेंजामिन फ्रैंकलिन के इस कोट के साथ उन्होंने सभा में मौजूद सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, फिर उन्होंने विज्ञान और कला के अंतर को समझाया और उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि कैसे विज्ञान और कला में फर्क होता है। उन्होंने छोटी-छोटी कहानियों से कला, सहित और संस्कार को समझाया और उसे विरासत में मिली जानकारी को सहेजने का काम हमारे युवा लोग कैसे कर सकते हैं उसे भी विस्तार पूर्वक से बताया। वे कहते हैं कि विरासत को संभालना अगर किसी से सीखना है तो उसे गौरा देवी से सीखना चाहिए।  उन्होंने चमोली के चिपको आंदोलन का जिक्र किया और कहा कि किस तरह से हमारे पहाड़ की महिलाएं अपने विरासत, धरोहर और प्रकृति की यह अद्भुत संपदा को सहेजने का काम करती है उसे हम गौरा देवी से सीख सकते हैं। वे राष्ट्र, संस्कृति और धरोहर कि बातें को आगे बढ़ाते हुए चाणक्य के नीतियों और उसके उपयोग राज्य के रक्षा के लिए कैसे करना चाहिए उसे भी विस्तार से बताया। चाणक्य के नीतियों कि मदद से किस तरह से हम अपने विरासत को बचाना, संभाल के रखना और उसका इस्तेमाल करना चाहिए यह आज के युवा वर्ग को चाणक्य पढ़कर सीखने की जरूरत है। वे चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि योग हमारे भारत से सभी जगहों पर फैला और अब वह विश्व का एकमात्र ऐसा साधन है जिसे लोग हर सुबह-शाम अपनाने के लिए तैयार हैं। कुछ साल पहले योग को हम उतना नहीं जानते समझते थे परंतु जब योग अमेरिका और यूरोप से होते हुए हमारे भारत में योगा बनकर आया तब हम सब उसे खूब समझने लगे और सराहनें लगे और अपनी दिनचर्या में शामिल करने लगे। इसमें मेरा कहने का तात्पर्य है कि हमारे. हमारे भारत में बहुत कुछ पहले से विद्यमान है परंतु हम उसे समझने में निरंतर देर कर देते हैं और इसी का फायदा बाहर के देशों के लोग उठाते हैं, और यहीं पर हमें समझ में आता है कि हमारा राष्ट्र, संस्कृति और धरोहर को सहेजना कितनी जरूरत है। अपने वक्तव्य में उन्होंने गांधीजी और चंपारण का भी जिक्र किया जिसमें वे बताते हैं कि किस तरह से  गांधीजी अपनी संस्कृति और धरोहर को बचाने के लिए निरंतर प्रयास कर  रहे थे। अंत में उन्होंने विरासत के आयोजकों को धन्यवाद दिया और उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से हमारी नई पीढ़ी के लोगों को हमारे संस्कृति और धरोहर को सहेजने का ज्ञान मिलता है

Leave A Comment