शिक्षिका उत्तरा पहले भी कई बार हुई है निलंबित, त्रिवेंद्र सरकार ने बिठाई जांच
देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार ने निलंबित की गई उत्तरकाशी की प्रधानाध्यापिका उत्तरा बहुगुणा मामले में जांच बिठा दी है। जांच के लिए उप शिक्षा अधिकारी नौगांव को नामित किया गया है। मीडिया सेंटर में पत्रकारों से औपचारिक वार्ता करते हुए शिक्षा सचिव डाॅ. भूपेन्द्र कौर औलख ने बताया कि जांच में उत्तरा बहुगुणा को भी अपना पक्ष रखने के लिए पूरा मौका दिया जाएगा। डाॅ. औलख ने बताया कि उत्तरा बहुगुणा प्रधान अध्यापिका, राजकीय प्राथमिक विद्यालय ज्येष्ठवाड़ी विकासखण्ड नौगांव जनपद उत्तरकाशी द्वारा 28 जून को मुख्यमंत्री के जनता दरबार में बिना किसी विभागीय अनुमति के प्रतिभाग किया गया और वहां पर अभद्रता की गई। जो कि कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन है। जिसके कारण उन्हें निलम्बित किया गया है। उत्तरा बहुगुणा 19 अगस्त 2017 से बिना किसी अनुमति के विद्यालय से अनुपस्थित चल रही हैं। इससे पूर्व भी 05 अगस्त 2015 से 10 अप्रैल 2017 तक भी विद्यालय से लगातार अनुपस्थित रही। कार्य के प्रति इस प्रकार की उदासीनता बच्चों के भविष्य के लिए हितकर नहीं है। अपने उत्तरदायित्वों का ठीक से निर्वहन न किये जाने के कारण बहुगुणा को 20 नवम्बर, 2008 एवं 27 जुलाई, 2011 में भी निलंबित किया जा चुका है। डाॅ. औलख ने बताया कि प्रकरण के बाद भी मुख्यमंत्री ने बहुगुणा के आवेदन पर नियमानुसार समुचित कार्यवाही के लिए निर्देशित किया है। इसमें बहुगुणा की पारिवारिक परिस्थितियों का भी ध्यान रखा जाएगा। यह देखा जाएगा कि स्थानांतरण एक्ट के अंतर्गत क्या किया जा सकता है। डाॅ. औलख ने बताया कि लगभग 500 शिक्षकों को अपने कैडर में वापिस भेजा गया है। उत्तरा बहुगुणा का उत्तरकाशी जनपद कैडर है। उनकी नियुक्ति/पदोन्नति/स्थानांतरण नियमानुसार उत्तरकाशी जिले में ही हो सकता है। वर्तमान में स्थानांतरण एक्ट प्रभावी हो चुका है। सरकार की पूरी कोशिश है कि स्थानांतरण पूरे नियम व पारदर्शिता के साथ हों। साथ ही यह भी कोशिश है कि दुर्गम क्षेत्रों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हों। इसीलिए स्थानांतरण में 10 प्रतिशत की सीमा लगाई गई है। जनपद उत्तरकाशी में दुर्गम से सुगम की पात्रता सूची में श्रीमती बहुगुणा 59 वें नवम्बर पर है जबकि जनपद उत्तरकाशी में सुगम क्षेत्र में केवल 12 पद स्थानांतरण हेतु रिक्त हैं।