सत्य की रोशनी परमात्मा बोद्य से मिलती है : ऊषा अरोड़ा
देहरादून। निरंकारी मंडल के सत्संग कार्यक्रम में प्रवचन करते हुए ऊषा अरोड़ा ने कहा कि अज्ञानता के अंधेरे में भटके लोगों को ज्ञानरूपी उजाले की आवश्यकता है। जिससे जीवन में उजाला आता है, वह परमात्मा का बोद्य ही है जो हमें सत्य की रोशनी में जीवन जीने का तरीका सिखाता है। सद्गुरू की शरण में आकर जीवन की हर अभिलाषा ज्ञान से प्राप्त होती है।रेस्ट कैंप स्थित निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जो लोग सत्य की राह से भटक जाते हैं वह अपने जीवन को भ्रमों में फंसाकर भटकन में रहते हैं। सद्गुरू की कृपा दृष्टि से भ्रम-भ्रान्तियां दूर होती हैं। क्योंकि सद्गुरू मानवता प्रेम के लिए संसार में जीवन जीकर सबका कल्याण करता है। धर्म मजहब सम्प्रदाय से ऊपर उठकर मानव एकता का संदेश देता है। जिससे दीवार रहित संसार का निर्माण होता है। बिना दिल में सच का वास करें कैसे मनुष्य पाक-साफ हो सकता है। ईष्र्या, नफरत आदि की खेती जहां होती है वहां कैसे प्यार, एकता, नम्रता की बारिस हो सकती है। सुन्दर तन के साथ सुन्दर मन की आवश्यकता होती है यदि सद्गुरू का साथ मिल जाये तो वह और सुन्दर हो जाता है। उन्होंने कहा कि पारब्रह्म परमात्मा का बोध हमें वह जीवन दर्शन देता है जिससे संकीर्णतायें मिटती है, विशालता हृदय में आती है, वह मनुष्य भाग्यशाली हैं जो निरन्तर सद्गुरू की शरण में रहकर अपने जीवन को समर्पित कर देता है। सिर्फ एक के साथ नाता जोड़कर जीवन को सार्थक बनाता है। सद्गुरू हर बात सरलता के साथ सिखाता है, निर्मलता के साथ सिखाता है। हम किसी से झूठ बोलते हैं तो इसका मतलब कि हम अपने आप से झूठ बोलते हैं। और मनुष्य अपने झूठ पर ही पर्दा डालता जाता है। सत्य से विमुख हो जाता है। सत्य प्रभु परमात्मा है जिसके साथ में सद्गुरू जोड़कर जीवन जीने का सलीका सिखाता है। जो सदा ही शाश्वत सत्य है। सत्संग समापन से पूर्व अनेक सन्तों-भक्तों ने गीतों एवं प्रवचनों के द्वारा गढ़वाली, पंजाबी, हिन्दी भाषा का सहारा लेकर संगत को निहाल किया। मंच संचालन बहन शशि बिष्ट ने किया।