समाज के प्रति हो जिम्मेदारी : सीएम त्रिवेंद्र
देहरादून | मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि नागरिक विशेषकर युवा वर्ग विकास व सामाजिक कार्यो हेतु सरकारों पर निर्भरता को कम करने का प्रयास करे, स्वप्रेरणा से सामाजिक दायित्व निभाए। मुख्यमंत्री ने राज्य के युवाओं का आह्वाहन किया कि ऐसे प्रयास किए जाए कि युवाओं की क्षमता, योग्यता, ज्ञान, स्किल, धन, विशेषज्ञता का उपयोग व्यापक सामाजिक विकास व कल्याण के लिए हो। उन्होंने कहा कि टेक्नोक्रेट व प्रोफेशनल अन्तिम व्यक्ति व अन्तिम गांव के विकास में अपनी भूमिका तय करे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आईआरडीटी आॅडिटोरियम, सर्वे चैक देहरादून में आयोजित मुख्यमंत्री सेवा योजना के तहत ‘‘मेरा सामाजिक दायित्व-स्वर्णिम उत्तराखण्ड’’ में बतौर प्रतिनिधि प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि देश की आजादी के 71 वर्षो के बाद भी हम सरकारों पर पूरी तरह से निर्भर है। यह निर्भरता सोने-चांदी की बैसाखी जैसी है। हमें गम्भीरता से विचार करना होगा कि हम स्वयं समाज, राज्य व देश के लिए क्या कर सकते है। हमारी समाज के प्रति क्या जिम्मेदारी है। हमारी स्किलस व विशेषज्ञता दूरस्थ गांवो के विकास में काम आनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों की अपेक्षा हमारे गांवो में सामाजिक उत्तरदायित्व बखूबी निभाया जाता है। ग्रामीण समाज परस्पर सहायता, सहयोग व सौहार्द में विश्वास करता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वाहन किया कि समाचार पत्रों का नियमित अध्ययन अवश्य करे । समाचार पत्रों के नियमित अध्ययन से समाज की समस्याओं की जानकारी के साथ ही समाज के प्रति संवेदनाएं जागृत होती है तथा समाज के प्रति जुड़ाव बढ़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे बच्चों को सामाजिक उत्तरदायित्व का आभास होगा। उन्होंने कहा कि हमारी साक्षरता दर अच्छी है। प्रत्येक वर्ष लगभग ढाई से तीन लाख छात्र-छात्राएं बारहवी की परीक्षा पास करते है। यदि सभी छात्र-छात्राएं एक-एक निरक्षर व्यक्ति को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले तो राज्य में सौ प्रतिशत साक्षरता शीघ्र ही प्राप्त की जा सकती है। आज दुनियाभर में सामाजिक कार्यो का महत्व बढ़ गया है। इसके साथ ही बच्चों में उद्यमशीलता व प्रोफेशनलिज्म का विकास करना होगा। युवाओं को मात्र नौकरी की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए व उद्यमशीलता की ओर बढ़ना चाहिए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा हमारे युवा टेक्नोक्रेट व प्रोफेशनल राज्य की 670 न्याय पंचायतों को आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। नए टेक्नाके्रट व प्रोफेशनल को हमारे गांव की परम्परागत आर्थिकी, दैनिक उत्पादन कार्यो व ग्रामीण जीवन का अध्ययन करना चाहिए तथा आधुनिक तकनीक व स्किलस द्वारा ग्रामीणों के जीवन के सुधार के उपायों पर काम करना चाहिए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य के 95 विकासखण्डों का 95 इन्सटटियूट व 95 औद्योगिक आस्थानों द्वारा विकास किए जाने की योजना पर ठोस कार्ययोजना से कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे 25 विकासखण्ड अन्र्तराष्ट्रीय सीमा पर है। हमे सीमान्त क्षेत्रों के विकास व कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान देना होगा। सीमान्त गांव सामरिक दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील व महत्वपूर्ण है। सेना को भी सीमान्त ग्रामीणों से सामरिक व देश की सुरक्षा से सम्बन्धित महत्वपूर्ण सूचनाएं प्राप्त होती है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के तकनीकी सलाहकार नरेन्द्र सिंह, उत्तराखण्ड ग्रामीण विकास व पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस. नेगी, उत्तराचंल टेक्नीकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर वी. के. सिंह आदि उपस्थित थे।