सरल विधि द्वारा करे गौरी पूजन
देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, जल का कलश, दूध, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र व आभूषण। चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, अष्टगंध। गुलाब के फूल। प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा में से जो भी हो। किसी विशेष मनोकामना के पूरी होने की इच्छा से किए जाने वाले पूजन में संकल्प की जरूरत होती है। निष्काम भक्ति बिना संकल्प के भी की जा सकती है। पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों में जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें। यदि श्री गौरी का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें। मैं ( अपना नाम बोलें ) विक्रम संवत् 2072 को, चैत्र मास के तृतीया तिथि को सोेमवार के दिन, भरणी नक्षत्र में, भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में महाकालेश्वर तीर्थ में इस मनोकामना से (मनोकामना बोलें) श्री गौरी का पूजन कर रही हूं। श्री गणेश के पूजन से शुरू करें। भगवान गणेश को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत अर्पित करें। अब देवी पार्वती का पूजन शुरू करें। देवी पार्वती की मूर्ति भगवान शिव के बायीं और स्थापित करना चाहिए। मूर्ति में देवी पार्वती का आवाहन करें। आवाहन यानी कि बुलाना। देवी पार्वती को अपने घर में आसन दें। अब देवी को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं। अब देवी पार्वती को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब तिलक करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। देवी पार्वती को फूल और चावल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। देवी पार्वती पूजन के दौरन ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ या ’’ऊँ पार्वत्यै नमः’’ इस मंत्र का जप करते रहें।