एक साथ सैन्य अभ्यास करेंगे भारत, पाकिस्तान और चीन
इस साल सितंबर में रूस में होने वाले सैन्य अभ्यास में पहली बार धुर विरोधी भारत, पाकिस्तान और चीन हिस्सा लेंगे. आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के मकसद से आयोजित इस सैन्य अभ्यास में कई अन्य देश भी शामिल होंगे. अधिकारियों का कहना है कि शांति मिशन के इस अभ्यास का मुख्य मकसद एससीओ के आठ सदस्य देशों के बीच आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाना है. पिछले हफ्ते बीजिंग में एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के इस अभ्यास में भाग लेने की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि आजादी के बाद पहली बार भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही सैन्य अभ्यास का हिस्सा होंगे. हालांकि दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा मिशन में साथ काम किया है. अधिकारियों ने बताया कि यह सैन्य अभ्यास शंघाई सहयोग संगठन में तैयार किए गए प्लान के तहत किया जाएगा. सुरक्षा समूह की इस संस्था पर चीन का दबदबा है जिसे अब नाटो की बराबरी कर सकने वाली संस्था के तौर पर देखा जा रहा है. यह अभ्यास रूस के उराल पर्वत क्षेत्र पर आयोजित किया जाएगा और एससीओ के लगभग सभी सदस्य इसका हिस्सा बनेंगे. भारत को सदस्य बनाने के लिए रूस ने और पाकिस्तान को सदस्य बनाने के लिए चीन ने मजबूती से पक्ष रखा था.