बेहद सरल भाषा है हिंदी : गिरीश शंकर
आज कोच्चि में दक्षिण एवं दक्षिण पश्चिम क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष गृहमंत्रालय राजभाषा विभाग के सचिव गिरीश शंकर के कर कमलों से राजभाषा हिंदी के प्रयोग में सर्वश्रेष्ठ प्रगति हासिल करने वाले दक्षिण एवं दक्षिण पश्चिम क्षेत्रों के कार्यालयों, उपक्रमों, बैंकों और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को पुरस्कृत किया गया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए गिरीश शंकर ने कहा कि किसी भी देश की मौलिक सोच और सृजनात्मक अभिव्यक्ति सही मायनों में सिर्फ अपनी भाषा में ही की जा सकती है। अपनी भाषा के प्रति लगाव और अनुराग हमारे राष्ट्र प्रेम का ही एक रूप है। उन्होंने कहा कि अपनी भाषा में मौलिक लेखन से अभिव्यक्ति बहुत ही सहज और स्वाभाविक होती है, जो अनुवाद की भाषा से संभव नहीं है। हिंदी ने अपनी मौलिकता, सरलता एवं सुबोधता के बल पर ही भारतीय संस्कृति और साहित्य को जीवंत बनाए रखा है। हिंदी ने सभी भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोकर अनेकता में एकता की भावना को पुष्ट किया है। गिरीश शंकर ने कहा कि सरकार और जनता के बीच वही भाषा प्रभावी एवं लोकप्रिय हो सकती है, जो आसानी से सबकी समझ में आ जाए और बेझिझक जिसका प्रयोग किया जा सके। राजभाषा हिंदी के प्रयोग के मामले में जो बात बार-बार चर्चा का विषय बनती है, वह है सरल हिंदी का प्रयोग। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हिंदी के सरल शब्दों को कार्यालयों के कामकाज में प्रयोग में लाया जाना चाहिए। यदि हम टिप्पणी लेखन, पत्राचार आदि के लिए हिंदी के आम बोलचाल के शब्दों, वाक्यांशों एवं वाक्यों का प्रयोग करेंगे तो निश्चित रूप से हिंदी के प्रति सबकी रुचि बढ़ेगी और हमें अनुवाद की बैसाखियों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।