जरा हट कर : कांग्रेस के संस्थापक ने साड़ी पहन कर बचाई थी जान
कांग्रेस के संस्थापक एवं इटावा के तत्कालीन जिलाधिकारी ए ओ ह्यूम को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 17 जून, 1857 को उत्तर प्रदेश के इटावा में जंगे आजादी के सिपाहियों से जान बचाने के लिए साड़ी पहन कर ग्रामीण महिला का वेष धारण कर भागना पड़ा था। इटावा के हजार साल और इतिहास के झरोखे में इटावा नाम ऐतिहासिक पुस्तकों मे ह्यूम के बारे में अनेक उल्लेख उपलब्ध हैं।आज भी उनका महत्व बना हुआ है इटावा के सैनिकों ने ह्यूम और उनके परिवार को मार डालने की योजना बनाई थी। सेनानियों ने उनका बंगला घेरने की तैयारी कर रहे थे। भनक लगते ही 17 जून, 1857 को ह्यूम को महिला के वेष मे गुप्त ढंग से इटावा से निकल कर बढ़पुरा पहुंच गए और सात दिनों तक बढ़पुरा में छिपे रहे। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष उदयभान सिंह यादव बताते हैं कि बेशक आज के वक्त में इटावा की राजनितिक पहचान समाजवादी पार्टी के गढ़ के रूप में होती हुई दिख रही हो, लेकिन आजादी के दरम्यान इटावा को यहां के तत्कालीन जिलाधिकारी ए ओ ह्यूम ने बहुत कुछ दिया है, इसी कारण ह्यूम का मह्त्व उनके ना रहने के बाद भी बना हुआ है। आज भी उनका महत्व बना हुआ है इटावा के सैनिकों ने ह्यूम और उनके परिवार को मार डालने की योजना बनाई थी। सेनानियों ने उनका बंगला घेरने की तैयारी कर रहे थे। भनक लगते ही 17 जून, 1857 को ह्यूम को महिला के वेष मे गुप्त ढंग से इटावा से निकल कर बढ़पुरा पहुंच गए और सात दिनों तक बढ़पुरा में छिपे रहे। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष उदयभान सिंह यादव बताते हैं कि बेशक आज के वक्त में इटावा की राजनितिक पहचान समाजवादी पार्टी के गढ़ के रूप में होती हुई दिख रही हो, लेकिन आजादी के दरम्यान इटावा को यहां के तत्कालीन जिलाधिकारी ए ओ ह्यूम ने बहुत कुछ दिया है, इसी कारण ह्यूम का मह्त्व उनके ना रहने के बाद भी बना हुआ है।खुद के अंश से 32 स्कूलों का निर्माण करवाया
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने कार्यकुशलता के बल पर इटावा के लोगों के मन में अपना स्थान बना लिया। 16 जून, 1856 को ह्यूम ने लोगों की जनस्वास्थ्य सुविधाओं को मद्देनजर इटावा मुख्यालय पर एक सरकारी अस्पताल का निर्माण कराया। स्थानीय लोगों की मदद से ह्यूम ने खुद के अंश से 32 स्कूलों का निर्माण कराया जिसमे 5683 बालक-बालिका अध्ययनरत रहे। उस समय बालिका शिक्षा का जोर ना के बराबर रहा जिसके कारण विद्यालय में मात्र दो बालिका ही अध्ययन के लिए सामने आई। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने कार्यकुशलता के बल पर इटावा के लोगों के मन में अपना स्थान बना लिया। 16 जून, 1856 को ह्यूम ने लोगों की जनस्वास्थ्य सुविधाओं को मद्देनजर इटावा मुख्यालय पर एक सरकारी अस्पताल का निर्माण कराया। स्थानीय लोगों की मदद से ह्यूम ने खुद के अंश से 32 स्कूलों का निर्माण कराया जिसमे 5683 बालक-बालिका अध्ययनरत रहे। उस समय बालिका शिक्षा का जोर ना के बराबर रहा जिसके कारण विद्यालय में मात्र दो बालिका ही अध्ययन के लिए सामने आई। एक अंग्रेज अधिकारी होने के बावजूद भी ह्यूम का यही इटावा प्रेम उनके लिए मुसीबत का कारण बना। इटावा में स्थानीय रक्षक सेना के गठन की भी बड़ी दिलचस्प कहानी है। 1856 में ह्यूम इटावा के कलक्टर बन कर आए। कुछ समय तक यहां पर शांति रही। डलहौजी की व्ययगत संधि के कारण देसी राज्यों में अपने अधिकार हनन को लेकर ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध आक्रोश व्याप्त हो चुका था। चर्बी लगे कारतूसों क कारण 6 मई, 1857 में मेरठ से सैनिक विद्रोह भड़का था। उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली से लगे हुए अन्य क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी ने अत्यधिक संवेदनशील घोषित कर दिए थे।