5 साल में 300 वैज्ञानिक छोड़ गए, इसरो ने कहा हम प्रक्षेपण में व्यस्त थे
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष के क्षेत्र में नित नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। लेकिन अपने लक्ष्यों को हासिल करने के मिशन में उसने एक ठोकर खाई है। यह साबित होता है इसरो द्वारा दिए गए एक आरटीआई के जवाब में। जवाब में बताया गया है कि 2012 से 2017 के बीच 300 वैज्ञानिक इसरो छोड़ गए। इसका कारण पूंछने पर इसरो अध्यक्ष के कार्यालय द्वारा जवाब मिला कि हम प्रक्षेपण में व्यस्त थे। हालांकि परिणाम अभी तक ज्ञात नहीं हैं, देश की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो को पांच युवा वैज्ञानिकों द्वारा छोड़ना निश्चित रूप से एक चिंताजनक संकेत है। भारत का बड़ा लक्ष्य 2020 तक आदित्य मिशन सूर्य पर भेजना, 2018 तक चाँद का पता लगाने के लिए एक श्चंद्रयानश् और अवतार, 2025 में एक मानवयुक्त पुनरू प्रयोज्य विमान अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। इसरो मंगल जैसे कम लागत के मिशन भेजने के लिए दुनिया भर में जाना जाता है और एक बार में 104 उपग्रहों को लॉन्च कर एक विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुका है। लेकिन आरटीआई के एक जवाब में एक चैकाने वाला खुलासा हुआ है। जिसमें बताया गया है कि पिछले पांच सालों में 300 वैज्ञानिकों ने इसरो छोड़ दिया। इसे इसरो के लिए एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है। इसरो में विभिन्न पदों पर 7,062 वैज्ञानिक और इंजीनियर्स काम कर रहे हैं। इसरो अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान के स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईआईएसटी) विभाग से सीधे युवा इंजीनियरों को स्पेस टेक्नोलॉजी में तैयार करने के लिए भर्ती करता है। हालांकि इसरो ने आरटीआई के जवाब में पलायन के लिए कोई कारण नहीं बताया, जबकि एजेंसी के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर ने नई परियोजनाओं की कमी, तकनीकी नवाचार और भविष्य के लक्ष्यों के अभाव को इस्तीफे का कारण बताया है। इतने सारे वैज्ञानिकों द्वारा इस्तीफे देने के कारण का इसरो ने जवाब मांगने पर उत्तर नहीं दिया गया। अंतरिक्ष सचिव और इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार के कार्यालय ने कहा कि प्रक्षेपण में व्यस्त थे।