तीन तलाक : संवैधानिक पीठ ने फैसला रखा सुरक्षित
नई दिल्ली। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में 11 मई से जारी सुनवाई अब खत्म हो गई। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सभी पक्षों की दलीलों को सुना। इससे पहले बुधवार को संवैधानिक पीठ ने अन्नल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लन्न बोर्ड से पूछा कि क्या औरतें तीन तलाक को ना कह सकती हैं। पर्सनल लन्न बोर्ड के वकील सिब्बल से चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने पूछा कि क्या महिलाओं को निकाहनामा के समय तीन तलाक को ना कहने का विकल्प दिया जा सकता है। क्या सभी काजियों से निकाह के समय इस शर्त को शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। कपिल सिब्बल ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के एक छोटी सी चिड़िया है, जिस पर गिद्ध अपनी नजरें गड़ाये बैठा हुआ है। समुदाय के घोंसले को सुप्रीम कोर्ट का संरक्षण मिलना चाहिए। मुस्लिम समुदाय एक विश्वास के साथ कोर्ट आया है। और अपने पर्सनल लन्न, परंपरा और रुढ़ियों के लिए सुरक्षा मांग रहा है। मुस्लिम समुदाय का सुप्रीम कोर्ट पर पिछले 67 वर्षों से विश्वास है। उन्होंने कहा कि यदि कोई अदालत इस विश्वास के साथ आता है कि उसे न्यायालय मिलेगा तो अदालत को भी याची की भावना को समझना चाहिए। अगर यदि अदालत में कोई तीन तलाक को रफ्र् कराने के लिए आता तो वो ठीक था। लेकिन अदालत का स्वतरू संज्ञान लेना ठीक नहीं है। क्योंकि संविधान भी इस विषय पर मौन ही रहा है। जब सिब्बल ने कहा -मुस्लिम समुदाय ले सकता है कठोर रुख कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस मुफ्रे पर स्वत संज्ञान लेगा तो मुस्लिम समाज कठोर रुख अपना सकता है। मुस्लिम समाज धीरे धीरे तीन तलाक और बहुविवाह को छोड़ रहा है। लिहाजा अदालत को स्वत संज्ञान लेने से बचना चाहिए था। लेकिन अदालत और सरकार के रुख से ये मामला पुनर्जीवित हो सकता है।