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दोनों हाथ नही फिर भी जिंदगी जीने की उड़ान को नही रोकी, जानिए खबर

गुवाहाटी। जिंदगी सिखाये तो सिख लेते पर सीखने के लिए हाथ न हो तो क्या होगा पर मुश्किलें किसके जीवन में नहीं हैं ईश्वर मेरे दोनों हाथ बनाना भूल गए, लेकिन मैंने पैरों से जीना सीख लिया है। 21 साल की प्रिंसी गोगोई जब ये बातें कहती हैं तो उनकी आंखें अटूट विश्वास से और चमकने लगती है। असम के छोटे से शहर सोनारी में पैदा हुई प्रिंसी के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है। फिलहाल वह गुवाहाटी के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में फ्रंट डेस्क एग्जीक्यूटिव की नौकरी कर घर का खर्च उठा रही हैं।

प्रिंसी की बनी पेंटिंग 30 हजार रुपए में बिकी

प्रिंसी ने पैरों से लिखकर 12वीं पास की है। प्रिंसी को पेंटिंग, सिंगिंग और स्पोर्ट्स का शौक है। पैरों की अंगुलियों से ब्रश पकड़कर प्रिंसी ने हाल ही में गणेश की पेंटिंग बनाई जो 30 हजार रुपए में बिकी। वह दिव्यांग बच्चों के लिए एक आर्ट स्कूल खोलना चाहती हैं। मुझे एक सरकारी स्कूल में पांचवीं में इसलिए एडमिशन नहीं दिया गया था, क्योंकि मेरे दोनों हाथ नहीं हैं।

दोनों हाथ न होने पर नही मिला स्कूल में दाखिला

मुझे एक सरकारी स्कूल में पांचवीं में इसलिए एडमिशन नहीं दिया गया था, क्योंकि मेरे दोनों हाथ नहीं हैं। एक शिक्षक ने मां से कहा था कि वे ‘मानसिक रोगी’ बच्चे को भर्ती नहीं कर सकते। लेकिन एक दरवाजा बंद होता है, तो ईश्वर दूसरा खोल देता है। गांव के ही एक व्यक्ति की मदद से मेरा एडमिशन प्राइवेट स्कूल में हुआ, जहां से मैंने 10वीं पास की।

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