अस्पताली कचरे का अलग निस्तारण जरूरी, जानिए खबर
नई दिल्ली। कोरोना से जुड़े कचड़े को दूसरे कचरों से अलग करना समय की जरूरत है। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी)ने मंगलवार को कहा कि जन स्वास्थ्य और पर्यावरण के हित को देखते हुए कदम उठाना जरूरी है। एनजीटी को राज्यों के प्रदूषण बोर्ड द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 2,907 अस्पताल, 2,707 कोरोना जांच केंद्र,1539 सेफ्फल कलेक्शन सेंटर और 264 लेबोरेटरी में जांच हो रही है। इस सभी सेंटरों से महामारी से जुड़ा कचड़ा उत्पन्न हो रहा है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोगल की बेंच ने कहा कि देश मे रोज लगभग 101 मीट्रिक टन बायोमेडिकल ढंग से इस कचरे का निस्तारण जरूरी है। देशभर में 609 मीट्रिक टन अस्पताली कचरा हर दिन बनता है, जो महामारी से बन रहे-अस्पताली कचरे से अलग है।अस्पताली कचरे के प्रबंधन से जुड़ी 195 कम्पनियां सामान्य अस्पताली कचरे के साथ कोरोना से जुड़े कचरे का निस्तारण कर रही हैं, जो घातक हो सकता है।