आपदा प्रबंधन के लिए वालंटियर कोर हो स्थापित : हरीश रावत
न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित आपदा प्रबंधन की राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा प्रबंधन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल करने पर बल देते हुए कहा है कि इससे हम आपदा प्रबंधन का एक अच्छा परिमार्जित माॅडल बना सकते हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आपदा से गांवों को बचाना है तो हरियाली को बढ़ाने, बरसात के पानी को संरक्षित करने व परम्परागत खेती को अपनाना होगा। पिछले वर्षों में हमारी आपदा प्रबंधन की क्षमता में बहुत सुधार हुआ है। भारत सरकार के पास एनडीआरएफ है तो हमारे पास एसडीआरएफ है। आपदा प्रबंधन के लिए एक वालंटियर कोर भी स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हमारे रेस्पोंस में कुशलता आई है। इसी का परिणाम है कि राज्य में पर्यटकों की संख्या वर्ष 2012 के बराबर हो गई है। बिना नेशनल हाईवे को बंद किए कांवड़ यात्रा को सफलतापूर्वक संचालित किया गया है। अर्धकुम्भ के आयोजन व चार धाम यात्रा में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। इससे राज्य के रूप में हमारे आत्मविश्वास को बल मिला है। चारधाम यात्रा में इस बार 15 लाख से अधिक श्रद्धालु आए हैं। हमारी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। हम देश के सबसे तेजी से आगे बढ़ते राज्यों में शामिल हैं। इस वर्ष एक हजार सड़कों पर काम प्रारम्भ किया गया है। ब्लाॅक स्तर तक सड़कों को हाॅट मिक्स बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से गांवों को बचाना है तो हरियाली को बढ़ाने, बरसात के पानी को संरक्षित करने व परम्परागत खेती को अपनाना होगा। साथ ही परम्परागत शैली के मकानो को प्रोत्साहित करना होगा। खेतों में जुताई जरूरी है। इससे बरसात का पानी जमीन के अंदर जाएगा और भूमि की नमी बरकरार रहेगी। गांवों के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना होगा। हमें अब केदारनाथ जैसी बड़ी आपदाओं के चिंतन से बाहर निकलकर माइक्रो लेवल की प्लानिंग करनी चाहिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कार्यशाला में भागीदारी कर रहे ग्राम प्रधानों से आग्रह किया कि गांवों में जल संरक्षण, जानवर रोधी दीवारें बनाने व भीमल, रामबांस आदि के वृक्षारोपण पर अधिक ध्यान दें।