आर्थिक रूप में प्रतिभाए हो रही कमजोर
अरुण कुमार यादव (संपादक )
पहले के दशक में बच्चों पर पढ़ाई को लेकर जोर अधिक दिया जाता था उस दशक में पढ़ाई के अतरिक्त खेल ,गीत संगीत या कुछ अलग करने का हुनर तो था लेकिन वह हुनर कही न कही दब जाता था | पिछले दशक में भी लोग पढ़ाई के अलावा और क्षेत्रो में आगे आये है लेकिन आज के दौर में बच्चों के माता पिता पढ़ाई के साथ साथ उनके अलग प्रतिभा को गम्भीरता से आगे बढ़ने के लिए साथ देते है | वर्तमान समय में अनेक टी वी चैनलों द्वारा रियल्टी शो के माध्यम से देश की प्रतिभा को देश के बीच लाते है जो काबिले तारीफ़ है |लेकिन अभी भी कुछ ऐसी प्रतिभाये है जो आर्थिक रूप से कमजोर अपने प्रतिभा को सामने नही ला पाते कुछ ही प्रतिशत ऐसे प्रतिभा किसी के सहयोग से आगे निकल जाते है |
प्रतिभा को आगे लाने वाली टी वी चैनलों को बडे शहरो के रुख के साथ छोटे छोटे शहरो और गांवो की तरफ रुख रखना चाहिए जिससे उन प्रतिभा को आर्थिक रूप से कमजोर होने पर बड़े शहरो में न जाना पड़े |