इंधन के अभाव में थमे 108 एम्बुलेंस सेवा के पहिए
देहरादून । राज्य में 108 एम्बुलेंस सेवाएं दिन प्रतिदिन गड़बड़ाती जा रहीं हैं। राज्य सरकार भले ही मरीजों के लिए इसे जीवन दायिनी बता रही हो लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। राज्य के अनेक हिस्सों में 108 एम्बुलेंस सेवा की शिकायत सामने आ रही हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए शुरू की गई यह सेवा फिलहाल ठप पड़ी हुई है। जिससे सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को हो रही है। 108 एम्बुलेंस सेवा का इन दिनों बुरा हाल है। 108 एम्बुलेंस सेवा का संचालन करने वाली जीवीके ईएमआरआई कंपनी का 30 अप्रैल को करार खत्म होने जा रहा है। उसके बाद 108 एम्बुलेंस सेवा का संचालन कैम्प कंपनी के हैंडओवर कर दिया जाएगा। दूसरी ओर इससे पूर्व ही 108 एंबुलेंस सड़कों से गायब नजर आ रही हैं। वहीं, दून अस्पताल की इमरजेंसी में मरीजों को पहुंचाने वाली 108 एम्बुलेंस का आना अब कम हो गया है। जहां पहले अस्पताल परिसर में निरंतर 108 एम्बुलेंस आती-जाती रहती थीं, तो वहीं कई वाहनों के पहिए डीजल के अभाव में जाम हो गए हैं। हकीकत में कंपनी के पास तेल भराने तक का बजट नहीं है। शासन ने जीवीके ईएमआरआई को मार्च-अप्रैल का बजट अभी तक नहीं दिया, वहीं 2 माह होने वाले हैं लेकिन कर्मचारियों को सैलरी तक नहीं मिली है। अब 108 के कर्मियों को अपने रोजगार की भी चिंता सताने लग गई है। 108 के कर्मियों को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी आश्वासन दिया है। देहरादून के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसके गुप्ता ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर में तैनात 108 के नोडल अफसर द्वारा सूचित किया गया है कि 108 एम्बुलेंस की स्थिति ठीक है और सुचारू रूप से अपने कार्य कर रही है। अभी तक किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि कैम्प और जीवीके ईएमआरआई के बीच हुए अनुबंध के अनुसार वाहनों का हैंडेओवर टेकओवर की प्रक्रिया सीएमओ ऑफिस की देखरेख में की जा रही है। उन्होंने कर्मचारियों की मांगों के संदर्भ में कहा कि कुछ 108 कर्मी मांगों के संदर्भ में उनके पास आए थे, कि कर्मचारियों को यथावत बहाली पर रखा जाए और साथ ही वर्तमान वेतनमान पर नियुक्ति प्रदान की जाए। उनकी मांगों के संदर्भ में शासन को सूचित कर दिया गया है। गौरतलब है कि नई कंपनी में समायोजित नहीं करने पर कर्मचारी लामबंद हैं।