इस खेल में हार तो जनता रही है …
उत्तराखण्ड में खीचतान राजनीति के माध्यम से विकास का रथ रुकना राज्य के लिए सही संकेत नही है | जिस तरह से नेता अपने स्वार्थ के चक्कर में सरकार को स्थिर करने में लगे हुए वह राज्य की जनता के लिए शुभ संकेत नही है | दूसरी तरफ उतना ही जिम्मेदार सरकार भी है जो विकास रूपी पक्षपात का अमलीजामा कही न कही अपने ऊपर समावेशित किये हुए है | इस राजनीति रूपी सहमात के खेल में उत्तराखण्ड की जनता ठगा महसूस करने लगी है | राज्य को विकास चाहिए वह तभी सम्भव है जब सरकार पाँच साल स्थिर रहे | ऐसे में राज्य के हित में उत्तराखण्ड की जनता के लिए राज्य के नेता स्वार्थ और सत्ता लोभ और पक्षपात को दर किनार कर विकास रूपी स्थिर सरकार दे | वर्तमान समय में राज्य में जो राजनीतिक घटना चक्र के साथ साथ विधायको पर खरीद फरोख का जो आरोप प्रत्यारोप चल रहे है इससे नेता राज्य के साथ साथ देश को क्या संकेत देना चाह रहे है | आगे इस राजनीति खेल में जो भी जीते या हारे लेकिन राजनीति की जो गाँठ बंध गई है उसको उसको खोलना बहुत ही मुश्किल है | इसमें हर तरफ से हार जनता की ही दिख रही है |
अरुण कुमार यादव (संपादक)