ईको फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए गति फाउंडेशन करेगा प्रेरित
देहरादून। थिंक टैंक गति फाउंडेशन इस बार दीपावली पर शहर भर में वायु प्रदूषण मापने की तैयारी कर रहा है। यह पहला मौका है, जब दीपावली से पहले और बाद में शहर में वायु प्रदूषण का स्तर नापा जाएगा। गति फाउंडेशन द्वारा इसके लिए अत्याधुनिक मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। शहर के विभिन्न हिस्सों में वायु प्रदूषण मापने के साथ ही फाउंडेशन द्वारा ईको फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए लोगों को प्रेरित भी किया जाएगा। फाउंडेशन के सह संस्थापक आशुतोष कंडवाल ने बताया कि देश के तमाम शहरों के साथ ही देहरादून में भी वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि शहर में प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। आशुतोष के अनुसार तमाम प्रयासों के बावजूद दीपावली के मौके पर आतिशबाजी की प्रवृत्ति बढ़ रही है और इसी के साथ देहरादून में प्रदूषण चिंताजनक स्थिति तक पहुंच जाता है। शहर में प्रदूषण नापने का यह पांच दिवसीय अभियान दीपावली से दो दिन पहले शुरू होकर दो दिन बाद तक चलाया जाएगा। अभियान 5 नवंबर को शुरू होगा और 9 नवंबर तक चलाया जाएगा। इस दौरान अत्याधुनिक मशीन के माध्यम से शहर के विभिन्न हिस्सों में वायुमंडल में मौजूद पीएम-2.5 और पीएम-10 का स्तर नापा जाएगा। बाद में इस अभियान पर आधारित एक रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी, जिसे संबंधित विभागों को इस उम्मीद के साथ सौंपा जाएगा कि दीपावली जैसे त्योहारों पर प्रदूषण की स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए जा सकें। इस तरह का अभियान गति फाउंडेशन ने इस वर्ष फरवरी में भी चलाया था, जिसके चैंकाने वाले नतीजे सामने आए थे। फरवरी में यह अभियान शहर के प्रमुख चैराहों और व्यावसायिक स्थलों पर चलाया गया था, लेकिन इस बार अभियान रिहायशी इलाकों में चलाया जाएगा। इसके लिए मुख्य रूप से उन रिहायशी इलाकों को चुना जाएगा, जहां अधिक मात्रा में आतिशबाजी छोड़े जाने की संभावना रहती है। आशुतोष कंडवाल ने यह भी बताया कि उनका अभियान सिर्फ वायु प्रदूषण मापने तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इस दौरान संबंधित क्षेत्रों के निवासियों को ईको फ्रेंडली दिवाली मनाने और वायु प्रदूषण रोकने में सहयोग करने के लिए जागरूक भी किया जाएगा। उन्होंने शहर वासियों से अपील की कि दीपावली सद्भाव, प्रेम और उत्साह का त्यौहार है। इसे परंपरागत तौर-तरीकों से मनाएं और आतिशबाजी का कम से कम इस्तेमाल करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को हम एक सुरक्षित संसार सौंप सकें।