उत्तराखंड की बेटी नूतन ने किया एवरेस्ट फतह
रुद्रप्रयाग। आखिरकार रूद्रप्रयाग की बेटी नूतन वशिष्ट ने एवरेस्ट पर फतह कर दी है। गत् 26 मई की देर रात्रि को देश की नौ बेटियों ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर भारत का झंडा फहराया था। गढ़वाल परिक्षेत्र की यह पहली एनसीसी कैडेट है, जिसने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। दुनिया की सभी चोटियों पर देश का झंडा फहराने का सपना संजोने वाली अगत्स्यमुनि ब्लाॅक के गुनाऊं गांव निवासी नूतन वशिष्ट (20) ने बाल्यकाल से ही पर्वतारोहण को अपना कैरियर बनाने की ठान ली थी। गुनाऊं निवासी सेना में ंकार्यरत गिरीश चन्द्र वशिष्ट और समाज सेवी सुशीला वशिष्ट की बेटी नूतन जनपद ने उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। वर्तमान में राजस्थान बिकानेर से एम काॅम की पढ़ाई कर रही नूतन ने कक्षा दो तक की शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की थी। हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद नूतन की रूचि पर्वतारोहण की तरफ बढ़ गई। एनसीसी कैडेट होने के कारण वो राॅक क्लाइबिंग के शिविरों में प्रतिभाग करने लगी। माता-पिता तथा मामा के सहयोग से नूतन ने हिमालयन पर्वतारोहण का बेसिक प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। दो वर्ष पूर्व आर्मी की ओर से सौ एनसीसी कैडेटो के पर्वतारोही दल में नूतन को भी शामिल किया गया था। मेहनत और लगन के दम पर उसने पहले टाॅप 40 में जगह बनाई। बाद में कड़े प्रशिक्षण के बाद अंतिम दस में जगह बनाई। वर्ष 2014 में नूतन ने गंगोत्री के समीप रूद्रगैरा, सिक्किम में माउंट रिनाॅक, हिमाचल प्रदेश में माउंट टिब्बा तथा उत्तराखंड में माउंट त्रिशूल पर तिरंगा फहराया। मार्च माह में अपने पांच कोचों और अन्य साथियों के साथ नूतन माउंट एवरेस्ट फतह करने निकली थी। बेस कैम्प में कई दिनों के कठोर प्रशिक्षण के बाद आखिरकार इस टीम ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा दिया। मोबाइल पर हुये सम्पर्क के बाद नूतन बताती है कि एवरेस्ट फतह के दौरान सात लोगों की मौत भी उन्हीं के सामने हुयी थी। उनकी दर्दनाक मौत देखने के बाद एक बार तो वह घबरा गई थी, लेकिन उनके प्रशिक्षकों द्वारा उनकी टीम का हौसला बढ़ाये जाने से ऊर्जा का संचार हुआ और वह एवरेस्ट की चोटी पर खुशी खुशी चढ़ गयी। नूतन की मां सुशीला कहती है कि बचपन से ही उसे पर्वतों में चढ़ने का शौक था, जब वह गांव में रहती थी तो जंगलो में जाकर रस्सी के सहारे पहाड़ चढ़ती थी। मैं उसे डांटती थी, वो मुस्कुराकर रह जाती थी। मुझे बहुत गुस्सा आता था, लेकिन मैंने कभी भी कल्पना नहीं की थी कि उनकी बेटी एक दिन एवरेस्ट फतह करेगी।