उत्तराखंड : 22 आईपीएस अधिकारियों को समय से पहले हटाया गया
देहरादून। उत्तराखंड में तीन वर्षों में पुलिस महानिरीक्षक से पुलिस अधीक्षक श्रेणी के 22 आई.पी.एस. अधिकारियों को पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 28 के अन्तर्गत एक पद पर बने रहने की निर्धारित 2 वर्ष से पूर्व हटाया गया है। उक्त खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 28 के अन्तर्गत एक पद पर बने रहने की निर्धारित न्यूनतम 2 वर्ष की अवधि से पूर्व हटाये गये पुलिस अधिकारियों की सूचना पुलिस मुख्यालय से मांगी। इसके उत्तर में पुलिस मुख्यालय के लोक सूचना अधिकारी/सहायक पुलिस महानिरीक्षक (प्रशिक्षण) ने अपने पत्रांक 376 दिनांक 04 अक्टूबर के साथ ऐसे 22 आई.पी.एस. अधिकारियों की सूची उपलब्ध करायी है जिन्हें वर्ष 2016, 2017 तथा 2018 में उनकी 2 वर्ष की न्यूनतम पद पर बने रहने की अवधि से पहले हटाया गया है। इस स्थानांतरण का कारण जनहित, रिक्ति व शासन स्तर से पारित आदेशों के क्रम में स्थानांतरण दर्शाया गया है। नदीम को पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध सूचना के अनुसार पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारियों में ए0पी0अंशुमान, पुलिस उपमहानिरीक्षक स्तर के अधिकाारियों में पूरन सिंह रावत (अपर सचिव गृह) पुष्पक ज्योति, अजय रौतेला, केवल खुराना (तत्कालीन पुलिस अधीक्षक) को निर्धारित पदावधि 2 वर्ष से पूर्व हटाया गया है। पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों में विमला गुुंज्याल, अजय जोशी, वी0के0कृष्ण कुमार, मुख्तार मोहसिन, जगत राम जोशी, नारायण सिंह नपलच्याल, राजीव स्वरूप, स्वीटी अग्रवाल, सेंथिल ऊबूदई, योगेन्द्र सिंह रावत, पी0रेणका देवी, निवेदिता कुकरेती, बरिन्दर जीत सिंह, दलीप सिंह कुंवर, प्रीति प्रियदर्शनी, रामचन्द्र राजगुरू तथा सुखवीर सिंह का स्थानांतरण एक पद पर निर्धारित न्यूनतम पदावधि दो वर्ष से पूर्व किया गया है। श्री नदीम ने बताया कि पुलिस के कार्यों में राजनैतिक हस्तक्षेप कम करने व पुलिस सुधार तथा निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ केस में न्यूनतम पदावधि दो वर्ष से पहले जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को अपने पद से न हटाने के आदेश दिये गये थे। इसके आधार पर ही उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 28 में यह प्रावधान शामिल किया गया है। यद्यपि इसमें थाने के प्रभारी अधिकारियों की पदावधि को घटाकर अधिनियम में एक वर्ष रखा गया है।