उत्तराखंड : 40 लाख लोगों को कौशल विकास द्वारा रोजगार व स्वरोजगार हेतु बनाई जाएगी कार्ययोजना
मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उत्तराखण्ड में कौशल विकास की समीक्षा किये
देहरादून | उत्तराखण्ड में स्किल इको सिस्टम का फ्रेम वर्क अगले दो माह में तैयार किया जाएगा। राज्य में 15 से 59 आयु वर्ग के लगभग 40 लाख लोगों को रोजगार व स्वरोजगार के योग्य बनाने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य सरकार कार्ययोजना बनाएगी। आज मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उत्तराखण्ड में कौशल विकास की समीक्षा की। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उत्तराखण्ड में 176 सरकारी आईटीआई हैं जो कि क्षेत्रफल व जनसंख्या को देखते हुए काफी अधिक हैं। इन आईटीआई का सदुपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उद्योगों से टाईअप किया जाए और उन्हें आईटीआई गोद लेने के लिए प्रेरित किया जाए। उद्योग न केवल इन्हें अपग्रेड करें बल्कि वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट भी दें। इसमें केंद्र सरकार राज्य सरकार का पूरा सहयोग करेगी। उत्तराखण्ड में पर्यटन से जुड़े लोगों के दक्षता विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए। होटल,रेस्टोरेंट, वाहन चालक, गाईड, आदि के स्किलिंग व रि-स्किलिंग करने की आवश्यकता है। एक अध्ययन के अनुसार उत्तराखण्ड के लोग प्राईवेट नौकरी की अपेक्षा स्वरोजगार को पसंद करते हैं। सरकार को युवाओं की इस अपेक्षा को पूरा होने में सहायक की भूमिका निभानी चाहिए। अगले तीन वर्षों में युवाओं के स्किल डेवलपमेंट के लिए राज्य सरकार के एमएसएमई, विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट, पर्यटन विभाग मिलकर स्किल इको सिस्टम की कार्ययोजना बनाकर उस पर समयबद्ध तरीके से काम करें। केंद्र सरकार इसमें पूरा सहयोग करने के लिए तत्पर है। स्कूल स्तर से ही बच्चों को उनकी रूचि अनुसार कोई न कोई हुनर अवश्य सिखाया जाए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नेशनल हाईवे का काफी विस्तार हो रहा है। रोडसाईड गतिविधियों के रूप में अनेक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं। युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के लायक बनाने के लिए उनके दक्षता विकास की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। स्किल्ड लोगों को मुद्रा लोन के माध्यम से पूंजी उपलब्ध करानी होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हमारा फोकस सेवा क्षेत्र पर है। उत्तराखण्ड में सेवा क्षेत्र में रोजगार व स्वरोजगार की बहुत सम्भावनाएं है। स्किल डेवलपमेंट की कार्ययोजना में सेवा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 लक्ष्य निर्धारित किए हैं और उन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है। प्रदेश में पलायन को थामने के लिए रोजगार पर सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसमें स्किल डेवलपमेंट बहुत महत्वपूर्ण है। हमने अनेक छोटी-छोटी पहलें की हैं। देवभोग प्रसाद योजना का सकारात्मक प्रतिफल मिल रहा है। महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से केदारनाथ व बद्रीनाथ में श्रद्धालुओं को लगभग 1.5 करोड़ रूपए के प्रसाद की बिक्री की गई है। यह प्रसाद चैलाई आदि स्थानीय उत्पादो से तैयार किया जता है। इस वर्ष चार धाम यात्रा पर रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु आए हैं। दूसरे क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में पर्यटक आए हैं। बैठक में उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत, केंद्र में एमएसडीई के सचिव डाॅ. के.पी. कृष्णन, संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल, उत्तराखण्ड शासन में अपर मुख्य सचिव डा. रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव डाॅ. भूपिंदर कौर औलख, डा. पंकज कुमार पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।