एआइसीटीई का लचीला रूख , इंजीनियरिंग कॉलेजों को राहत
द्वाराहाट। अल्मोड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रति छात्रों की घटती रुचि पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) भी पशोपेश में है। कभी 50 फीसद सीटें रिक्त रहने पर तकनीकी शिक्षण संस्थान बंद करने की बात करने वाली एआइसीटीइ ने अब मौके की नजाकत को भांपते हुए लचीला रुख अपना लिया है। अब परिषद के सदस्य सचिव प्रो. आलोक प्रसाद मित्तल ने कहा, लगातार तीन वर्षो में 30 प्रतिशत से कम प्रवेश वाले कॉलेज बंद किए जाएंगे। साथ ही सभी संस्थानों में एकरूपता लाने को 80 फीसद पाठ्यक्त्रम समान कर दिया गया है। यही नहीं आलोचनाओं से इतर प्राध्यापकों के टीचिंग ऑवर्स घटाकर 160 प्रति समेस्टर कर दिए गए हैं। बिपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी संस्थान में कार्यशाला का शुभारंभ करने पहुंचे एआइसीटीइ के सदस्य सचिव प्रो. मित्तल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, भारत बेशक तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में सबसे श्रेष्ठ न हो, पर भारतीय तकनीक व प्रतिभा दुनिया में झंडा बुलंद कर रही। अमेरिका में 30 प्रतिशत भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत हैं। कहा कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना चलाने के लिए तकनीकी संस्थानों को परिषद बाकायदा वित्तीय मदद दे रहा। जम्मू कश्मीर के छात्रों के लिए हर संस्थान में 10 सीटें आरक्षित हैं। प्रो. मित्तल ने कहा, प्रधानमंत्री के स्मार्ट इंडिया प्रोग्राम के तहत श्मैराथॉनश् की तर्ज पर श्हैकाथॉनश् योजना शुरू की गई है। इसके तहत किसी प्रोग्राम को अपनी आपूर्ति करने के लिए हैक कर नया सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है। इस तकनीकी से चालू वर्ष में 28 मंत्रालयों तथा 20 राज्यों की समस्या का समाधान किया गया। कहा कि परिषद अब मात्र तकनीकी शिक्षा तक ही सीमित नही है। नए शोध तथा इस कार्य के लिए प्रोत्साहन के अतिरिक्त युवाओं में जागरूकता लाकर उनके मानसिक स्तर को ऊंचा करने की ओर भी काम शुरू कर दिया गया है। वहीं विद्यार्थियों की कौशल क्षमता बढ़ाने को नए कोर्स शुरू किए जा रहे।