किसान गजेन्द्र की मौत पर राजनेता राजनीति और मीडिया टीआरपी में लगी
किसान पर राजनीति करना देश के लिए तो ठीक है पर किसान की मौत पर राजनीति करना देश के लिए शर्म की बात है|जिस तरह से किसान के फसलों को नुकसान प्रकृति द्वारा पहुचा है उसकी भरपाई सरकार जिस तरह कर रही वह शर्मनाक और अशोभनीय है |मीडिया गजेन्द्र जैसे न जाने कितनो किसानो की ख़बर दबाये बैठी है जो आप के रैली में आत्महत्या करने वाले किसान गजेन्द्र की ख़बर को आप के सहारे टीआरपी बढ़ाने में लगी हुई है|प्रश्न यह बार बार मन में आ रहा है क्या आम आदमी पार्टी के रैली से पहले या उसके बाद किसानो ने आत्महत्या नही किये मीडिया उनके बलिदान को ब्यर्थ न जाए उसके लिए फूल कवरेज़ क्यों नहीं किये|मीडिया से हट कर बात राजनीति पार्टीयो की करे तो ये उनसे भी दो हाथ आगे निकली हुई है शर्म आनी चाहिए देश के राजनेताओ पर जो किसान अपने मेहनत की सभी जमापूँजी अपनी किसानी में लगा देते है फिर इसके बाद मौत को गले लगा रहे है उस पर राजनीति की रोटिया सेक रहे है |इससे यह तो स्पष्ट है किसान की मौत पर राजनेता राजनीति और मीडिया टीआरपी में लगी है|
अरुण कुमार यादव(संपादक)