केदारनाथ त्रासदी के छह साल, बदली तस्वीर
देहरादून । दुनिया का दिल दहला देने वाली केदारनाथ में हुई त्रासदी को 6 साल बीत गए लेकिन आज भी वहां इस हादसे के निशां बाकी हैं। यह एक ऐसा हादसा था जिन्होंने हजारों लोगों की जान ले ली। राष्ट्रीय आपदा रिपोर्ट के अनुसार केदारनाथ आपदा में 169 लोग काल का ग्रास बने, जबकि 4021 लापता हो गए। रेस्क्यू के दौरान 20 जवान भी शहीद हुए। रेक्क्यू आपरेशन के दौरान एक लाख पैंतीस हजार लोगों को बचाया गया था। बताया जा रहा है कि 440 मीमी बारिश के कारण पूरी घाटी में तबाही मच गयी थी। अब आपदा के छह वर्षों में न केवल केदारपुरी, बल्कि यात्रा की तस्वीर भी पूरी तरह बदली हुई है। जिस तरह धाम में यात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है, उससे लगता ही नहीं कि केदारघाटी ने छह वर्ष पूर्व भयंकर तबाही झेली है। शुरुआत के दो वर्षों में केदारनाथ आने वाले यात्रियों की संख्या जरूर कम रही, लेकिन अब यात्रियों की संख्या हर दिन नए कीर्तिमान गढ़ रही है। इस वर्ष यात्रा को शुरू हुए अभी 36 दिन ही बीते हैं, लेकिन यात्रियों का संख्या 6.32 लाख से अधिक पहुंच चुकी है। इसने यात्रा से जुड़े हजारों व्यापारियों के भी चेहरे खिला दिए हैं। केदारपुरी में प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत होने वाले कार्य भी तेज गति से हो रहे हैं। 16 जून 2013 की तबाही के बाद शायद ही किसी को उम्मीद रही होगी कि निकट भविष्य में केदारनाथ यात्रा पुरानी रंगत में लौट पाएगी। लेकिन, बीते वर्ष से यात्रा की जो तस्वीर नजर आ रही है, उसने सारी आशंकाओं को धूमिल कर दिया है। आपदा के बाद केदारपुरी में जिस तेजी से बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई, वह स्वयं में एक अनूठा उदाहरण है। आपदा में गौरीकुंड हाइवे रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक कई स्थानों पर पूरी तरह बह गया था। लेकिन, अब इस हाइवे को आलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है। फिलहाल हाइवे की कटिंग का कार्य पूरा हो चुका है। केदारनाथ समेत पैदल मार्ग के यात्रा पड़ावों पर यात्रियों के ठहरने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। धाम में यात्रियों के लिए शानदार कॉटेज बनाए गए हैं। इसके अलावा तीर्थ पुरोहितों के लिए भी 210 भवनों का निर्माण कराया गया है। जबकि नए यात्रा मार्ग के दस किमी हिस्से में भीमबली से लेकर केदारनाथ तक कई छोटे बाजार विकसित किए गए हैं। सरकार की ओर से जुटाई गई व्यवस्थाओं का ही नतीजा है कि इस बार धाम में रिकॉर्ड यात्री पहुंच रहे हैं। केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका है, जब पूरी रात मंदिर दर्शनों के लिए खुला हुआ है।