केवल बाबाओं की सम्पत्ति भर से दूर हो सकती है गरीबी
अरूण कुमार यादव
देहरादून। हमारे देश में धर्म के द्वारा कठिन से कठिन काम आसान हो जाता है देश के अन्दर अनेक धर्मो का वास है कुछ धार्मिक व्यक्तित्व समाज के लिए अपना शरीर एवं आर्थिक रूपी सहायता प्रदान करते है परन्तु इसी धार्मिक आढ़ में बाबाओं का खेल भी निराला दिखता है समयानुसार बाबाओं की सम्पत्ति सुर्खियों में आया हुआ है अगर बात स्वामी नित्यानन्द, आसाराम बापू, निर्मल बाबा, रामपाल एवं अन्य बाबाओं की करें तो इनकी सम्पत्ति से भारत देश की गरीबी को हद तक मिटाया जा सकता है इसमें हमारा समाज़ भी उत्तरदायी है क्योंकि बड़े-बड़े घरानों एवं कालाधन की कमाई धार्मिक दान में समावेशित किया जाता है यदि इसी सम्पत्ति एवं रूपयों के द्वारा जरूरतमंद लोगों की पूर्ति किया जाए तो समाज़ का गरीब वर्ग आगे बढ़ सकता है। देश के विकास में अहम योगदान साबित हो सकता है। देश के बाबाओं में से एक आसाराम बापू जिनकी सम्पत्ति 10 हजार करोड़ के आस-पास आका गया है। एैसे अन्य बाबाओं की सम्पत्ति की जांच की जाए तो आकलन एैसा ही होगा। सभी धर्म यही सिखाता है जरूत मंद लोगों की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। बाबाओं के सम्पत्ति के अलावा उनके चरित्रा पर प्रकाश डाले तो इसमें भी वह सबसे आगे नजर आ रहे है। शासन-प्रशासन को इस पर नजर रखनी चाहिए। एैसे पांखडी बाबाओं का रोक थाम करना चाहिए।