जब मुख्यमंत्री पहुंचे अनाथालय ….
मुख्यमंत्री हरीश रावत रविवार को श्री श्रद्धानंद बालवनिता आश्रम पहुंचे और वहा नवनिर्मित छात्रावास व बहुद्देशीय परिसर का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि दिल से जरूरतमंदों की सहायता करना ईश्वरीय कार्य है। ऐसा ही काम श्री श्रद्धानंद बालवनिता आश्रम द्वारा किया जा रहा है। इसके जुड़े लोग जिस निष्ठा से काम कर रहे हैं वह सराहनीय है। बिन मांगे संस्था को जिस तरह से लोगों द्वारा सहायता दी जाती है, उससे स्पष्ट है कि संस्था के लोगों ने विश्वसनीयता बनाई है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बच्चों में आत्मविश्वास जगाना बहुत आवश्यक है। आज की पीढ़ी बुद्धि विकास में पहले से काफी आगे है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए संस्था सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। समाज के सक्षम लोगों को इससे प्ररेणा लेकर अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिए आगे आना चाहिए। समाज आगे आता है तो देश आगे बढ़ता है। लोग यदि संवेदशील व चिंतनशील हैं तो राष्ट्र तरक्की करता है। संस्था के ओमप्रकाश नांगिया द्वारा जानकारी दी गई कि श्रद्धानंद बालवनिता आश्रम का शिलान्यास सन 1929 में महात्मा गांधी जी के कर कमलों द्वारा किया गया। इसमें 10 वर्ष तक के बच्चें लिए जाते हैं। बच्चों की पढ़ाई व अन्य जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाता है। इसके लिए आवश्यक धनराशि दानदाताओं द्वारा उपलब्ध करवा दी जाती है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने आश्रम के बच्चों से मिलकर उनसे बातचीत भी की।
इस मौके पर आश्रम के प्रधान हर्षवर्धन आर्य, रणजीत सिंह वर्मा, ज्ञानचंद गुप्ता, श्रीमती शैल डिमरा, भवहरीहरलाल, आदि उपस्थित थे।