जरा हटके : मुसलमानों ने की गुरु पूर्णिमा की पूजा
धर्म के आड़ में जहाँ एक तरफ नफरत का साया मड़राता है वही धर्म को लेकर राजनीति भी जनता के बीच खेली जाती है वही एक तरफ धर्म नगरी काशी में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सांप्रदायिक सद्भावना का वह नजारा देखने को मिला जिसके लिए कभी महान संत रामानंद एवं उनके शिष्य कबीर ने सपना देखा था। पातालपुरी मठ में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पीठाधीश्वर महंत बालक दास की आरती उतार पूरी दुनिया को संदेश दिया। काशी के विख्यात आश्रमों से लेकर मठों-विद्यालयों तक में गुरु पूर्णिमा उत्सव की धूम रही। पड़ाव स्थित भगवान अवधूत राम आश्रम, रवीद्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम आश्रम, गढ़वा घाट, मणिकर्णिका स्थित सतुआ बाबा आश्रम, अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास, अन्नपूर्णा मठ, मछली बंदर मठ, धर्मसंघ, परमहंस आश्रम समेत अन्य आश्रमों में बड़ी संख्या में शिष्यों के गुरु पूजन करने पहुंचने से मेले सा नजारा रहा। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास में गोस्वामी तुलसीदास की खड़ाऊं, उनके तैलचित्र और मानस की मूल पोथी का पूजन किया गया। शहर के बीच स्थित पातालपुरी मठ में मुस्लिम धर्मगुरु इरफान अहमद शम्सी, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के नेता मो. अजहरुद्दीन और उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद की सदस्य नाजनीन अंसारी के साथ पहुंचे मुस्लिम भाई-बहनों ने महंत बालक दास का माल्यार्पण कर आरती उतारी और दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया। कोई भी धर्म भेद नहीं सिखाता है। सभी धर्मों में गुरु को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। रामानंद ने कबीर को शिष्य बनाकर संदेश दिया था कि धर्म के आधार पर भेदभाव इंसानियत के खिलाफ है।