ढाका में जलवायु परिवर्तन पर विस अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल रखे विचार
देहरादून। उत्तराखण्ड विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल ने बंग्लादेश की राजधानी ढ़ाका में आयोजित 63वें काॅमनवेल्थ पार्लियामेंट्री ऐसोसियेशन सम्मेलन में कार्यशाला के दौरान जलवायु परिवर्तन परिचर्चा कामनवेल्थ के लिए चुनौती विषय पर अपने विचार रखे। काॅमनवेल्थ पार्लियामेंट्री ऐसोसियेशन सम्मेलन में पहली बार उत्तराखण्ड के किसी भी विधान सभा अध्यक्ष को किसी विषय पर बोलने का मौका मिला है। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ने जलवायु परिवर्तन पर भाषण देते हुए कहा कि पृथ्वी का वातावरण एक कवच की भांति सूर्य से प्राप्त गर्मी को पृथ्वी से वापस जाने से रोकता है। यह गर्मी पृथ्वी को गर्म रखती है अन्यथा पृथ्वी का तापमान इतना कम हो जायेगा कि यहाँ जीवन संभव नहीं होगा। परन्तु अन्धाधुन्ध औद्योगीकरण तथा लापरवाह मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में विभिन्न गर्मी सोखने वाली गैसें जैसे कार्बनडाइ-आक्साइड, मीथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन प्राकृतिक सीमा से अधिक मात्रा में उत्सर्जित हो रही हंै, परिणामस्वरूप पृथ्वी साधारण स्तर से अधिक गर्म हो रही है। वैज्ञानिकों द्वारा अनुमानित इसके प्रभाव चिन्ताजनक हैं। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि आई०पी०सी०सी०, यू०एन०एफ०सी०सी०सी०, तथा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम जैसे प्रयासों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सोच में परिवर्तन हुआ है। रियो अर्थ सम्मेलन, क्योटो प्रोटोकोल तथा पेरिस समझौते जैसे कदमों पर चलकर अब विश्व समुदाय इस बड़ी चुनौती का सामना करने हेतु अधिक जिम्मेदारी से जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी प्रयासों में प्रतिभागिता की ओर अग्रसर है। पेरिस समझौते के पश्चात अब विश्व स्तर पर इस मत पर सहमति बनी है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों पर अंकुश लगाने के लिए विश्व के औसत तापमान में बढोत्तरी को सीमित करनें के वैश्विक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सभी देश स्वैच्छिक योगदान की ओर बढ़ेगे। उत्तराखण्ड मेें भी वनाच्छादित क्षेत्रों के संरक्षण तथा बढ़ोतरी हेतु भारतीय वन संरक्षण (उत्तराखण्ड संशोधन) अधिनियम के अन्र्तगत विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड ने वन संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है विश्व प्रसिद्ध चिपको आन्दोलन यहीं प्रारम्भ हुआ था जिसके अन्र्तगत पहाड़ों में रहने वाली महिलायें पेड़ों को कटने से बचाने के लिए उनसे लिपट जाया करती थी। विभिन्न प्रयासों के बावजूद कुछ विवादस्पद विषय ऐसे हैं जिन्हें जलवायु परिवर्तन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सुलझाना आवश्यक है। विधान सभा अध्यक्ष ने अन्त में कहा कि हमें यह अहसास करने की आवश्कता है कि पर्यावरणीय समस्याओं के कारण एवं प्रभाव मूल रूप से वैश्विक होते हैं। वैश्विक गर्माहट एक जटिल समस्या है, जिसमें विकास, जनसंख्या, संसाधन पर्यावरण तथा आर्थिक न्याय जैसे मुद्दे सम्मलित हंै। इस समस्या के निवारण के लिए विश्व के सभी देशों के बीच सहयोग जरूरी है चाहे वे धनी हों अथवा निर्धन। किसी महान नेता ने कहा है कि हमने यह पृथ्वी अपने पूर्वजों से विरासत में प्राप्त नहीं की है वरन् अपनी अगली पीढ़ी से उधार ली है।