तबादले के बाद ना हो योजनाओ के तबादले
अरुण कुमार यादव (संपादक)
केंद्र सरकार की योजनाए हो या राज्य सरकार की सभी योजनाओ का शुभारम्भ भी गाजे -बाजे यानी प्रचार -प्रसार के माध्यम से होता है लेकिन समय दर समय इसमें सुस्ती आना प्रारम्भ होने लगता है कारण अधिकारियो की धीमी चाल और कही न कही सरकार और अधिकारियो में परिवर्तन | जहाँ योजनाओ को धरातल पर लाने के लिए प्राइवेट और गैर सरकारी संगठनो का सहारा लिया जाता है यह काबिले तारीफ है परन्तु सरकार के परिवर्तित होने पर या अधिकारियो के तबादले होने पर इन योजनाओ का हस्र वही पर आकर समाप्त हो जाता है जहा से शुरू हुआ होता है | अच्छे गैर सरकारी संगठनो का उन सभी योजनाओ पर किया हुआ कार्य शून्य के बराबर हो जाता है जिससे आर्थिक स्थिति के साथ साथ समय का व्यर्थ होना लाजमी है | केंद्र सरकार और राज्य सरकारे योजनाओ को अंतिम स्तर तक पहुचाने के लिए सरकार परिवर्तन और अधिकारियो के तबादले के बाद भी यथावत उसी योजनाओ को अंतिम रूप दिया जा सके |