दिव्यांग ने उठाया समाज को जाग्रत करने का बीडा
हरिद्वार। मन में यदि हो विश्वास तो शरीर की अपंगता मायने नहीं रखती। कहानी है देवभूमि उत्तराखंड में निवास करने वाली एक ऐसी बाला की जिसकी निष्ठा के कारण अपनी अपंगता को धता बताते हुए एक नये जीवन की शुरूआत ही नहीं बल्कि अपने जैसों के लिए प्रेरणा का सजीव उदाहरण भी प्रस्तुत किया। जयपुर निवासी मैकेनिकल इंजीनियर जय सिंह यादव की 26 वर्षीया दिव्यांग पुत्री कोमल ने जन्म से मिली मानसिक विकलांगता और शारीरिक वाध्यता को दर किनार करते हुए समाज को नई दिशा देने का बीडा उठाया। कोमल ने शांतिकुंज में स्थित श्रीरामपुरम् के नचिकेता भवन के निकट युग साहित्य का विधिवत शुभारम्भ कर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। विचारक्रान्ति अभियान का अंग बनते हुए सत् साहित्य के माध्यम से साइवर युग की सोच को धनात्मक दिशा देने के इस प्रयास को मील का पत्थर निरूपित करते हुए शुभारम्भ कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती यशोदा शर्मा ने किया। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डा. प्रणव पण्डया ने कोमल को आशीर्वाद देते हुए कहा कि इस तरह की प्रेरणायें समाज को नई देने के लिए प्रकाश स्तम्भ होती हैं जिनकी रोशनी में सत् चिन्तन को नये आयाम मिलते हैं। उल्लेखनीय है कि इस विशिष्ठ ने मात्र दो घंटे में ही एक हजार से अधिक मूल्य के बृम्ह भोज साहित्य की बिक्री करके कीर्तिमान स्थापित किया।