नीति आयोग की बैठक में हरीश रावत ने रखा अपना पक्ष
दिल्ली / देहरादून, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की पहली बैठक में राज्य का पक्ष रखते हुए कहा की कही हमारा सुझाव है कि 12वीं पंचवर्षीय योजनाकाल की वर्तमान व्यवस्था में कोई परिवर्तन न किया जाय। नार्थ ईस्टर्न काॅउन्सिल की तर्ज पर सेंट्रल हिमालयन काउसिल गठित की जाय। योजना आयोग द्वारा वर्ष 2013 में योजना आयोग के सदस्य श्री बी.के.चर्तुवेदी की अध्यक्षता में जो समिति गठित की गई थी, उसकी संस्तुतियों को स्वीकार कर हिमालयी राज्यों के लिए लागू किया जाए। उत्तराखण्ड जैसे राज्यों को ग्रीन बोनस दिया जाए। केन्द्र सरकार के एक अध्ययन के अनुसार उत्तराखण्ड के वनों के द्वारा दी जाने वाली पर्यावरणीय सेवा का वार्षिक मूल्य 16 लाख करोड़ रूपया है। सकल घरेलू उत्पाद का आकलन करते वक्त ग्रीन एकाउंटिंग को भी ध्यान में रखा जाए, ताकि जंगल हमारे लिए भार न हो सके। भागीरथी ईको सिस्टम जोन नोटिफिकेशन-2012 को निरस्त किया जाए, जिसके अन्तर्गत एक छोटे से जिले के 4200 वर्ग कि0मी0 क्षेत्र को ईको सेंसटिव जोन घोषित किया गया हैं। इस सम्बंध में राज्य में भागीरथी नदी घाटी विकास प्राधिकरण पहले से गठित है।मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की सीमाएं अन्तर्राश्ट्रीय सीमाओं से लगी हुई है, इसे देखते हुए उचित होगा कि सीमा सड़कों, रेलवे लाईन, हवाई पट्टी, संचार साधन आदि अवस्थापना विकास कार्यों को केन्द्र सरकार स्वयं अपने संसाधनों से कराये।मुख्यमंत्री रावत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के समग्र एवं समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास एवं संघीय व्यवस्था को सुदृढ़ आधार बनाने की दिशा में जो भी नीति बनाई जाय उसमें इनका संज्ञान अवश्य लिया जाय। राष्ट्रीय स्तर पर बदलते परिवेश से सार्थक ताल-मेल स्थापित करने के उद्देश्य से हमने अपने राज्य में एक उच्च स्तरीय ‘नीति नियोजक समूह’ गठित किया है। बैठक में केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली, राजनाथ सिंह, सहित अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री उपस्थित थे।