नेशनल खिलाड़ियो को भी मिले पेंशन
अरुण कुमार यादव (संपादक)
देश में जहां क्रिकेट मैच को जनता एक पर्व के रूप में मनाती वही इस खेल के खिलाड़ियो पर रुपयों की बरसात होती रहती है | यदि अन्य खेल और उस खेल के खिलाड़ियो की तरफ नज़र डाला जाए तो उनकी दशा और दिशा दयनीय नज़र आती है | तैराक , कुश्ती , निशानेबाज़ी, साइकिलिंग, दौड़ आदि खेलो के खिलाडी जो नेशनल स्तर पर खेल चुके है पर आज उनकी दशा आर्थिक रूप से इतनी कमजोर है की अपने परिवार का भरण पोषण तक करने में असमर्थ है | जो खिलाड़ी अपना पूरा जीवन देश का नाम रोशन करने में लगा दिया आज राजनीति सिस्टम रूपी काले साँप खेल विभाग के पदों पर आसिन होकर उनको ड्स रहे है | अभी हाल ही में मीडिया में आयी खबरों के मुताविक अम्बाला के हॉकी नेशनल खिलाड़ी तारा सिंह को आर्थिक तंगी ने इनके धैर्य को तोड़ दिया जो अब अम्बाला स्टेशन पर कुली का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है |ऐसे ही उत्तर प्रदेश के कानपुर की महिला बॉक्सिंग खिलाड़ी रुकशार बानो और मुरादाबाद के साइकिलिंग नेशनल खिलाड़ी शमीम रजा की भी दशा और दिशा खिलाडी तारा सिंह की तरह ही है | देश की सरकार को चाहिए की इन नेशनल स्तर के खिलाड़ियो की भी पेंशन जारी हो जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में बल प्रदान हो सके |