पलायन आयोग रिपोर्ट : 10 सालों में लगभग चार लाख लोग कर चुके है पलायन
सीएम त्रिवेंद्र ने आज पलायन आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक की है। पिछले दस सालों में तीन लाख 83 हजार 726 लोग यहां से पलायन कर चुके हैं। जबकि एक लाख 18 हजार 981 लोग हमेशा के लिए पलायन कर चुके हैं। पलायन आयोग ने उत्तराखंड की 7950 ग्राम पंचायतों का सर्वेक्षण कर ये रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में साफ हुआ है कि 33 प्रतिशत लोग मजदुरी कर रहे हैं, उत्तराखंड के 7950 ग्राम पंचायतों का सर्वेक्षण जनवरी-फरवरी 2018 में ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से कराया गया। आयोग की टीम ने सभी जिलों का दौरा कर लोगों से ग्राम विकास एवं पलायन के विभिन्न पहलुओं पर परामर्श किया। ग्राम पंचायत स्तर पर मुख्य व्यवसाय कृषि 40 प्रतिशत और मजदूरी 33 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस सालों में वर्षों में 6338 ग्राम पंचायतों में 383726 व्यक्ति अस्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। यह लोग घर में आते-जाते रहते हैं, लेकिन अस्थाई रूप से रोजगार के लिए बाहर रहते हैं। ठीक इसी अवधि में 3946 ग्राम पंचायतों से 118981 लोग स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार ग्राम पंचायतों से 50 फीसद लोगों ने आजीविका एवं रोजगार की समस्या, 15 फीसद ने शिक्षा की सुविधा और 8 फीसद ने चिकित्सा सुविधा के अभाव के कारण पलायन किया है। ग्राम पंचायतों से पलायन करने वालों की आयु 26 से 35 वर्ष के वर्ग में 42 फीसद है। 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 29 फीसद है। जबकि 25 वर्ष से कम आयु वर्ग में 28 फीसद है। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि राज्य में 850 ऐसे गांव हैं जहां पिछले 10 वर्षों में अन्य गांव, शहर, कस्बों से पलायन कर उस गांव में आकर लोग बसे हैं। राज्य में 565 ऐसे राजस्व गांव, तोक, मजरा हैं जिनकी आबादी 2011 के बाद 50 फीसद घटी है और इनमें से छह गांव अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी की 5 किलोमीटर के भीतर है।