पाकिस्तान आर्थिक संकट की चपेट में जानिए ख़बर
पाकिस्तान चुनाव से पहले गंभीर आर्थिक संकट में जाता दिख रहा है, एक अमरीकी डॉलर की क़ीमत लगभग 122 पाकिस्तानी रुपए हो गई है, अगर डॉलर की कसौटी पर भारत से पाकिस्तानी रुपया की तुलना करें को भारत की अठन्नी पाकिस्तान के लगभग एक रुपए के बराबर हो गई है. एक डॉलर अभी लगभग 67 भारतीय रुपए के बराबर है. पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक पिछले सात महीने में तीन बार रुपए का अवमूल्यन कर चुका है, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा. ईद से पहले पाकिस्तान की माली हालत आम लोगों को निराश करने वाली है. पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव है और चुनाव से पहले कमज़ोर आर्थिक स्थिति को भविष्य के लिए गंभीर चिंता की तरह देखा जा रहा है. रुपए में भारी गिरावट से साफ़ है कि क़रीब 300 अरब डॉलर की पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही लगातार कमी और चालू खाता घाटे का बना रहना पाकिस्तान के लिए ख़तरे की घंटी है और उसे एक बार फिर इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड यानी अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष के पास जाना पड़ सकता है. पाकिस्तान अगर आईएमएफ़ के पास जाता है तो यह पिछले पांच सालों में दूसरी बार होगा. इससे पहले पाकिस्तान 2013 में जा चुका है. निवर्तमान सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ इस बात का प्रचार कर रही है कि अगर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है तो उसे फिर से सत्ता में लाना होगा. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार इस स्तर तक कम हो गया है कि वो सिर्फ़ दो महीने के आयात में ख़त्म हो जाएगा. दिसंबर से लेकर अब तक पाकिस्तानी रुपए में 14 फ़ीसदी की गिरावट आई है. सेंट्रल बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान समय में चालू खाता घाटा 14 अरब डॉलर का है और यह पाकिस्तान की जीडीपी का क़रीब 5.3 फ़ीसदी है. पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा महज 10 अरब डॉलर से थोड़ा ही ज़्यादा बची है. दक्षिण एशिया में श्रीलंका के बाद पाकिस्तान दूसरा देश बन गया है जिसकी अर्थव्यवस्था भारी व्यापार घाटे से जूझ रही है. इसके साथ ही तेल की बढ़ती क़ीमतें और मज़बूत होता डॉलर दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भारी पड़ रहा है. श्रीलंका की मुद्रा रुपया भी डॉलर की तुलना में हर दिन नई गिरावट की तरफ़ बढ़ा रहा है. बुधवार को एक डॉलर की तुलना में श्रीलंकाई रुपया 160 रुपए तक पहुंच गया. इस वित्तीय वर्ष में पाकिस्तानी मुद्रा रुपए में तीन बार अवमूल्यन किया गया. ऐसे में स्थानीय मुद्रा को लेकर लोगों का भरोसा डगमगया है. इसका नतीज़ा यह हुआ कि कॉर्पोरेट सेक्टर में डॉलर की जमाखोरी बढ़ गई. पाकिस्तान की एक्सचेंज कंपनियों का कहना है कि आम लोग डॉलर नहीं बेच रहे हैं. ज़रूरतमंद लोग ही मज़बूरी में डॉलर के बदले पाकिस्तानी रुपया ले रहे हैं. कहा जा रहा है कि यह पहली ईद है जब रुपए को कोई पूछ नहीं रहा. इससे पहले पारंपरिक रूप से ये होता था कि विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानी रमज़ान के महीने में खर्च करने के लिए अपनों को वहां की मुद्रा भेजते थे और बाज़ार में रौनक रहता था. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए डॉलर की ख़रीद और बिक्री करने वालों की पहचान करने के लिए कई नियम बनाए हैं. जो शख़्स खुले बाज़ार में 500 डॉलर से ज़्यादा ख़रीदना चाहता है या बेचना चाहता है उसे कंप्यूटराइज राष्ट्रीय पहचान पत्र दिखाना होगा.