पाॅलीथीन और प्लास्टिक कचड़े पर पूरा प्रतिबंध लगे- सीएम
देहरादून | मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में केन्द्र सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों की समीक्षा श्रृंखला का प्रारम्भ करते हुए नमामि गंगे तथा स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रमों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देश पर इस बैठक हेतु भारत सरकार के अधिकारियों के साथ ही नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा के महानिदेशक श्री राजीव रंजन और अधिशासी निदेशक को भी आमंत्रित किया गया था। बैठक में केन्द्र सरकार, राज्य मुख्यालय के साथ ही वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारी जुडे हुए थे। बैठक में एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन ने बताया कि देहरादून, केदारनाथ, श्रीकोट तथा उत्तरकाशी नमामि गंगे के एक्शन प्लान में शामिल हो गये हैं। इससे इन शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट कार्यों तथा घाट निर्माण सहित अन्य आवश्यक कार्यों को गति मिलेगी। उन्होंने हरिद्वार शहर के बचे हुए सीवरेज नेटवर्क प्लान को भी एक्शन प्लान में शामिल करने पर सहमति दी। उन्होंने बताया कि हरिद्वार में खड़खड़ी घाट के जीर्णोंद्धार हेतु क्लीन गंगा फण्ड में धनराशि दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों और संबन्धित विभागों को गंगा की स्वच्छता से जुडे सभी कार्यक्रमों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारी माह के प्रथम सोमवार को अपने जनपद मे नमामि गंगे तथा स्वच्छता कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे। जिन जनपदो में नमामि गंगे परियोजना नही है वहां के डी.एम. स्वच्छ भारत मिशन की समीक्षा करें। आवश्यकता पडने पर राज्य मुख्यालय, केन्द्र के अधिकारियों तथा एन.एम.सी.जी. से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग भी करें। मुख्यमंत्री ने पेयजल, सिंचाई, नमामि गंगे प्रोजेक्ट सहित सभी डी.एम. को निर्देश दिये कि दिसम्बर 2018 तक हर हाल में लंबित एस.टी.पी. कार्य और घाट निर्माण कार्य पूरा किया जाय। मानसून से पहले कार्य को ओर तेज किया जाय। बताया गया कि वर्तमान में गंगा नदी के 16 शहरों हेतु कुल 31 एस.टी.पी. प्रोजेक्ट स्वीकृत हैं। इनमें 13 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं तथा 18 में कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एस.टी.पी. का निर्माण कार्य पूर्ण होने तक नगर विकास विभाग द्वारा नालों की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाय। उन्होंने कहा कि एस.टी.पी. का निर्माण हो जाने के बाद भी स्वच्छता की दृष्टि से शहरी नालों की नियमित सफाई जरूरी है। सभी डी.एम. इसकी नियमित समीक्षा करें। मुख्यमंत्री ने पाॅलिथीन और प्लास्टिक जनित कूडे़ पर सख्त नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को टास्क फोर्स निर्मित कर पाॅलिथीन प्रतिबंध हेतु लागू नियमों का कडाई से पालन करने को कहा। इस हेतु जन जागरूकता कार्यक्रमों को भी बढ़ावा देने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने नमामि गंगे से जुड़े सभी जिलाधिकारियों को जनपद स्तर पर गठित गंगा समिति की नियमित बैठके करने के निर्देश दिये। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आॅफ इंण्डिया द्वारा प्रशिक्षित किये गये गंगा प्रहरियों की भी सेवा ली जाए। नमामि गंगे से जुड़े सभी 07 जनपदों में गंगा समितियां गठित है। इस समिति के अध्यक्ष डी.एम. तथा संयोजक डी.एफ.ओ. होते है। एनएमसीजी ने इन समितियों के कार्यालय हेतु सीड मनी के रूप में धनराशि देने की पेशकश भी की | मुख्यमंत्री ने कहा कि सामुदायिक स्वच्छता काम्प्लेक्सों के निर्माण के उपरान्त उनके संचालन और रखरखाव हेतु नियमित व्यवस्था की जाए। इस कार्य हेतु स्वच्छकों की तैनाती की जाए। वर्ष 2012 के बेसलाइन सर्वे के बाद नये शौचालय विहीन घरों का सर्वे शीघ्र पूरा किया जाए। बताया गया की एस.सी.इ.आर.टी. के सहयोग से छोटे बच्चों हेतु स्वच्छता पर आधारित पाठ्यवस्तु भी तैयार की गई है। बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा, सचिव पेयजल अरविंद सिंह ह्यांकी, नमामि गंगे के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डाॅ. राघव लंगर सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।