पीडीएफ ला सकती है रावत सरकार को मुश्किल में
देहरादून। पीडीएफ के बदले तेवरों ने हरीश रावत सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। उत्तराखंड से राज्यसभा की जुलाई माह में रिक्त होने जा रही सीट के चुनाव में पीडीएफ ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। पीडीएफ ने काबीना मंत्री दिनेश धनै को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पीडीएफ के इस कदम से मुख्यमंत्री हरीश रावत व कांग्रेस सकते में हैं। भाजपा दूर से यह सियासी तमाशा देख रही है। पीडीएफ के इस कदम को मंत्रिमंडल में रिक्त दो पदों समेत कुछ सरकारी ओहदों को लेकर दबाव की रणनीति भी माना जा रहा है। उत्तराखंड में राज्यसभा की रिक्त हो रही सीट का चुनाव रोचक दौर में पहुंच गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने जहां गत दिवस पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को अपना įत्याशी घोषित कर दिया, वहीं राज्य की कांग्रेस सरकार को चार सालों से समर्थन देते आ रहे पीडीएफ ने भी देर रात राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया। कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल के आवास पर हुई बैठक में पीडीएफ ने यह फैसला लिया। ऐसे में राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा करने से पहले कांग्रेस ने पीडीएफ को विश्वास में नहीं लिया, जबकि पीडीएफ पहले से ही राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुका था। बहरहाल, पीडीएफ पहले राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से ही समर्थन मांगेगा। हरीश रावत सरकार पीडीएफ के छह विधायकों के समर्थन की बैसाखी पर ही टिकी है। ऐसे में पीडीएफ के ताजा तेवरों से रावत सरकार मुश्किल में खड़ी नजर आ रही है। इस नए खतरे की आशंका से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में बेचैनी का नजर आ रही है। पीडीएफ का यह कदम कुछ शर्तों को लेकर मुख्यमंत्री पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। रावत मंत्रिमंडल में वर्तमान में दो पद खाली हैं, जिसमें से एक पद पर बसपा का स्वाभाविक दावा भी माना जा रहा था।