बीसी खंडूरी के लिए धर्मसंकट : एक ओर राजनीतिक शिष्य तो दूसरी तरफ बेटा
देहरादून । लोकसभा चुनाव में उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद बीसी खंडूड़ी के सामने धर्मसंकट आ खड़ा हुआ है। एक ओर तो भारतीय जनता पार्टी ने उनके राजनीतिक शिष्य समझे जाने वाले तीर्थ सिंह रावत को पौड़ी सीट से प्रत्याशी बनाया है जबकि दूसरी ओर उसी सीट पर कांग्रेस ने खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी को चुनाव में उतारा है। हांलाकि खंडूरी भाजपा के पुराने दिग्गज नेताओं में शुमार है । अब राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं होने लगी है किए ऐसी स्थिति में खंडूरी किसके साथ खुलकर खड़े होंगे। पुलवामा आतंकी हमले के बाद ये माना जा रहा था कि भाजपा इस सीट पर किसी सैन्य पृष्ठभूमि के उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी। जनरल के चुनाव लडने से मना कर देने के बाद पार्टी ने उनके नजदीकी तीरथ सिंह रावत को मैदान में उतारने का फैसला लिया। जनरल खंडूड़ी ने जहां अपने बेटे को आशीर्वाद दिया है तो चुनाव में भाजपा और तीरथ को समर्थन देने की बात कही है। भाजपा दबदबे वाली गढ़वाल लोकसभा सीट पर जनरल खंडूड़ी पांच बार सांसद रहे हैं। गढ़वाल (पौड़ी) लोकसभा सीट पारंपरिक रूप से कांग्रेस वर्चस्व वाली रही है। इस सीट पर अब तक हुए 16 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस आठ बार विजयी रही। इनमें से सात चुनाव उसने 1984 लोकसभा चुनाव तक जीते। हालांकि इसके बाद उसे जीत का स्वाद चखने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। उसके दबदबे वाली सीट से एक बार जनाधार खिसका तो फिर खिसकता चला गया। राज्य गठन के बाद 2009 में कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी की। लेकिन 70 के दशक तक गढ़वाल के मतदाताओं पर कांग्रेस का जादू सिर चढकर बोला। इस सीट पर लगातार चार बार चुनाव जीतने का रिकार्ड डॉ. भक्त दर्शन सिंह के नाम था, जो भाजपा के भुवन चंद्र खंडूड़ी ने 2014 लोकसभा के चुनाव में तोड़ा। लेकिन खंडूड़ी ने भक्तदर्शन सिंह की तरह चुनावों में लगातार जीत दर्ज नहीं की। पौड़ी के मतदाताओं को इस बात का श्रेय जाता है कि उनके चुने हुए सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन बार जगह मिली। पहली बार डॉ. भक्तदर्शन नेहरू कैबिनेट में शिक्षा मंत्री बने। फिर सतपाल महाराज को केंद्र सरकार में वित्त एवं रेलवे राज्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ और उनके बाद जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी अटल सरकार में केंद्रीय सडक एवं भूतल मंत्री बने। 2007 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी लोस सीट पर 2008 में उपचुनाव हुआ। मतदाताओं के लिहाज से सैन्य बाहुल्य मानी जाने वाली इस सीट से भाजपा के जनरल टीपीएस रावत चुनाव जीते है।