मन व्यथित है, घृणा से भरा है ….
बुलंदशहर हाईवे पर हुई गैगरेप की घटना ने समाज के नैतिक पतन की पराकाष्ठ पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है !!!!आखिर इंसान किस स्तर तक गिर गया है !!क्या देश के ये कानून रोक पाएँगे बलात्कार जैसी घटनाएं ?? आखिर कितनी दामिनी और बनाएगा ये निच पशु समाज….सोच कर रूह काँप उठती है की क्या गुजरा होगा उस परिवार के साथ…एक पिता के सामने उसकी पत्नी और पुत्री के साथ रेप…घृणा हो रही है… थूकने को मन…थू थू थू थू…. सारे आरोपियों को बिच चौराहे पर बोटी-बोटी काट दिया जाए तो भी कम है….गैंगरेप की शिकार हुई नाबालिग बेटी के पिता एक टीवी चैनल से बात करते हुए रो पड़े और कहा कि वो घटना मेरे आंखों से सामने तैर रहा है, जी चाहता है कि जहर खाकर आत्महत्या कर लूँ..मर जाऊँ… उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को कपड़े उतराकर तलाशी ली गई, उसके बाद उन्होंने बहुत घिनौनी हरकत की. मैंने उनसे कहा कि पैसे ले लो, लेकिन महिलाओं को छोड़ दो, पर उन्होंने एक भी नहीं सुनी.’ अपनी बेटी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि मेरी बेटी मार्शल आर्ट की चैंपियन है और वह उन दरिंदों से आधे घंटे तक लड़ती रही. मेरी बेटी ने कभी रिंग में हार नहीं मानी. लेकिन दरिंदगी के आगे वह हार गई… हर बार की तरह इस बार भी घटना घट जाने के बाद सरकार ने कार्रवाई करते हुए बुलंदशहर के एसएसपी, एसपी सिटी और सीओ समेत सात पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है, पुलिस ने चौबीस घंटे में तीन आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया और शायद उन्हें फांसी की सजा भी मिल जाए..पर घटना के बाद पीड़ित परिवार जिस मानसिक, शारीरिक, समाजिक प्रताड़ना से गुजर रहा है उसका क्या ?? उस पिता का सम्मान, उस माँ का अपमान, उस बेटी के सपनों का मरना, इज्ज़त का लूटना….ये सब कौन सरकार कौन समाज वापस दिलाएगा ?????
लेखक – राकेश रंजन यादव ( कतरास झारखण्ड )