मेजर ध्यानचंद देश के रत्न फिर भी नहीं मिला भारत रत्न
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद कौन हैं ?और क्यों जनता अक्सर उन्हें भारतरत्न देने की मांग करती है | स्वतंत्रता के पहले जब भारतीय हॉकी टीम विदेशी दौरे पर थी, भारत ने 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते और खेले गए 48 मैचो में से सभी 48 मैच भारत ने जीते| भारत 20 वर्षो से हॉकी में अपराजेय था| हमने अमेरिका को खेले गए सभी मेचो में करारी मात दी,इसी के चलते अमेरिका ने कुछ वर्षों तक भारत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, ध्यानचंद के प्रशंसको की लिस्ट में हिटलर का नाम सबसे ऊपर आता है| हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी की नागरिकता लेने के लिए प्रार्थना की, साथ ही जर्मनी की ओर से खेलने के लिए आमंत्रित किया’उसके बदले उन्हें सेना में अधिकारी का पद और बहुत सारा पैसा देने की बात कही लेकिन जवाब में ध्यानचंद ने उन्हें कहा कि “मैं पैसों के लिए नहीं देश के लिए खेलता हूँ…!” कैसे हिटलर ध्यानचंद के प्रशंसक बने? जब जर्मनी में हॉकी वर्ल्डकप चल रहा था तब एक मैच के दौरान जर्मनी के गोल कीपर ने उन्हें घायल कर दिया| इसी बात का बदला लेने के लिए ध्यानचंद ने टीम के सभी खिलाडियों के साथ एक योजना बनाई, भारतीय टीम ने गोल तक बॉल पहुचाने के बाद भी गोल नहीं किया और बॉल को वहीं छोड़ दिया.यह जर्मनी के लिए बहुत शर्म की बात थी. एक मैच ऐसा भी था,जिसमे ध्यानचंद एक भी गोल नहीं कर पा रहे थे .इस बीच उन्होंने रेफरी से कहा-“मुझे मैदान की लम्बाई कम लग रही है..!”जांच करने पर ध्यानचंद सही पाए गए, और मैदान को ठीक किया गया.उसके बाद ध्यानचंद ने उसी मैच में 8 गोल दागे |वे एक अकेले भारतीय थे जिन्होंने आजादी से पहले भारत में ही नहीं जर्मनी में भी भारतीय झंडे को फहराया| उस समय हम अंग्रेजो के गुलाम हुआ करते थे,भारतीय ध्वज पर प्रतिबंध था.इसलिए उन्होंने ध्वज को अपनी नाईटड्रेस में छुपाया और उसे जर्मनी ले गए | इस पर अंग्रेजी शासन के अनुसार उन्हें कारावासहो सकती थी,लेकिन हिटलर ने ऐसा नहीं किया. जीवन के अंतिम समय में उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं थे.इसी दौरान जर्मनी और अमेरिका ने उन्हें कोच का पद ऑफर किया लेकिन उन्होंने यह कहकर नकार दिया कि “अगर मैं उन्हें हॉकी खेलना सिखाता हूँ, तो भारत और अधिक समय तक विश्व चैंपियन नहीं रहेगा..!” लेकिन भारत की सरकार ने उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं की तदुपरांत भारतीय आर्मी ने उनकी मदद की|एक बार ध्यानचंद अहमदाबाद में एक हॉकी मैच देखने गए. लेकिन, उन्हें स्टेडियम में प्रवेश नहीं दिया गया,स्टेडियम संचालको ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया .इसी मैच में जवाहरलाल नेहरु भी उपस्थित थे|आख़िरकार क्रिकेट के आदर्श सर डॉन ब्रेडमैन ने कहा आप बताएं क्या ध्यानचंद की उपलब्धियां भारतरत्न के लिए पर्याप्त नहीं है? लगभग 50 से भी अधिक देशों द्वारा उन्हें 400 से अधिक अवार्ड प्राप्त हुए| सरकार ध्यानचंद की उपलब्धियाँ को ध्यान में रखते हुए भारत रत्न से नवाज कर उनके देश भक्ति को जीवित रखे |