रामपाल के लिए ’’सिंघम रिर्टन’’ की जरूरत
रील और रियल की कल्पना हकीकत साबित हो रही हैं। हाल की घटना रामपाल महराज की सिंघम रिर्टन फिल्म से मिलती जुलती महसूस हो रही हैं। अब देखना ये हैं सिंघम बनकर कौन इस घटना को अन्तिम पक्ति तक ले जाता हैं।हरियाणा का एक संत और उसके अनुयायी जिस तरह न्याय पालिका को आइना दिखाकर 30 हजार पुलिस फ़ोर्स को मूक दर्शक बनाए हुए हैं,वहीँ दूसरी ओर मानवाधिकार आयोग, देश भर के सामाजिक पहलुओं पर पैनी नजर रखने वाले एन.जी.ओ आखिर क्यों खामोश हैं…? क्या वह उस समय के इन्तजार में हैं जब पुलिस सख्ती दिखाए और कुछ दुर्घटनायें घटें तब ये एनजीओ चीखें चिल्लाएं.खुले आम न्यायपालिका का मखौल उड़ाने वाले बाबा रामपाल जो अपने को साक्षात भगवान् का अवतार मानते हैं के अनुयायी और उनकी कड़ी कमांडो फ़ोर्स देश से बड़ी है जो हरियाणा सरकार उन पर हाथ डालने से कतरा रही है पुलिस ने अभी अभी अपनी बहादुरी जिस तरह से पत्रकारों पर उनकी पिटाई कर व कैमरे तोड़ कर दिखाई उससे सिर्फ सरकार की भद्द ही पिल रही है.मीडिया की पिटाई का आशय क्या है यह समझ में नहीं आ रहा है लेकिन सच को छुपाने की कोशिश में वे पुलिस वाले भी दिखाई दे रहे हैं जो रामपाल के करीबी बताये जा रहे हैं. कहीं इसके पीछे हरियाणा बीजेपी के वे सीनियर राजनीतिज्ञ तो नहीं हैं जिन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से परेशानी रही हो. लेकिन मोदी के आगे जुबान खोलने की हिम्मत न हो. वहीँ मोदी विदेश यात्रा पर हैं क्या उन्हें हरियाणा प्रदेश की इस वारदात की जानकारी नहीं होगी. खबर है कि पुलिस ने आज दखल देते हुए समर्थकों को कह दिया है कि 30 मिनट के अन्दर आश्रम खाली करने की चेतावनी के साथ पुलिस ने आंसू गैस के गोले चोदे वहीँ यह भी खबर है कि दोनों तरफ से गोलियां चली और पुलिस सतलोक आश्रम के अन्दर घुसने में कामयाब हो गई है.