राष्ट्रपति शासन बनाम सरकार शासन
उत्तराखंड में जिस तरह से राजनितिक उथल -पुथल चला और अंत में मामला कोर्ट तक पहुंचा अब तारीख पर तारीख का खेल कोर्ट द्वारा चल रहा है | लेकिन जिस तरह से उत्तराखंड की जनता राष्ट्रपति शासन को लेकर संतुष्ट दिख रही है वह राजनेताओ के लिए हैरान करने वाली बात है यदि राष्ट्रपति शासन और सरकार शासन की तुलना किया जाय तो जिस तरह से सरकारों द्वारा फिजूल खर्ची दिख रही थी वह राष्ट्रपति शासन में नहीं के बराबर दिख रही है एवं साथ ही साथ बिना दबाव के अधिकारियों का का कार्य करना एक अच्छी प्रकाष्टता दिखाई दे रहा है | इस संदर्भ में दूसरे पहलू को भी देखे तो राष्ट्रपति शासन में राज्य का समस्त दारोमदार राज्य पाल के पास होता है | उत्तराखंड की जनता राज्य में जब तक राष्ट्रपति शासन लगा रहेगा तब तक वह चाहेगी की भेदभाव और राजनीतिक दबाव का खेल राजभवन से भी ना हो यदि ऐसा होता है तो फिर “राष्ट्रपति शासन बनाम सरकार शासन ” शीर्षक का कोई औचित्य ही नहीं रह जाएगा | ख़ैर जो भी हो किसी भी बहाने राज्य का विकास होना चाहिए चाहे राष्ट्रपति शासन हो या किसी सरकार का शासन हो | इन सभी में एक ही अर्थ सामने आता है वह है केवल और केवल जनता का ही फायदा हो |
अरुण कुमार यादव (सम्पादक )